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अब तीसरी क्लास में ही AI पढ़ेंगे बच्चे, CBSE ने NCERT को सौंप दिया पूरा खाका!

NCERT AI Draft

प्रतीकात्मक तस्वीर

NCERT AI Draft: कल्पना कीजिए, तीसरी क्लास का बच्चा सुबह स्कूल जाता है और मैथ्स की कॉपी में नहीं, बल्कि लैपटॉप पर कोड लिखकर रोबोट को “नमस्ते” बोलना सिखाता है. ये कोई साइंस-फिक्शन नहीं, बल्कि 2026 से भारत के स्कूलों की हकीकत बनने वाली है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 3 से 12 तक के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का पूरा खाका तैयार कर NCERT को सौंप दिया है. अब बारी है राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की, जो इसे अंतिम आकार देगी.

हर क्लास में AI का अलग स्वाद

CBSE का प्लान है कि AI को अलग विषय नहीं, बल्कि रोजमर्रा की पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाए.

तीसरी-पांचवीं: खेल-खेल में कम्प्यूटेशनल थिंकिंग. बच्चे पैटर्न पहचानेंगे, सिंपल अल्गोरिदम बनाएंगे.
छठी-आठवीं: बेसिक कोडिंग, डेटा समझना, चैटबॉट बनाना.
नौवीं-दसवीं: मशीन लर्निंग की ABC, एथिक्स, रियल-वर्ल्ड प्रोजेक्ट.
ग्यारहवीं-बारहवीं: डीप लर्निंग, कंप्यूटर विजन, AI प्रोजेक्ट जो मार्केट में काम आए.

NCERT की स्पेशल कमेटी हर क्लास की उम्र, समझ और लोकल जरूरतों को देखकर इसमें बदलाव करेगी. दिसंबर 2025 तक हैंडबुक, डिजिटल कंटेंट और टीचर गाइड तैयार हो जाएंगे.

बच्चों को AI पढ़ाने से पहले टीचर्स को पढ़ाना जरूरी है. शिक्षा मंत्रालय ने प्लान बनाया है कि अप्रैल 2026 के नए सेशन से पहले हर टीचर को 40-50 घंटे की AI ट्रेनिंग मिलेगी. DIKSHA ऐप पर मॉड्यूल्स, वर्कशॉप और सर्टिफिकेशन प्रोग्राम चलेंगे. खास बात यह है कि ये ट्रेनिंग सिर्फ CBSE नहीं, बल्कि सभी राज्य बोर्ड्स के टीचर्स के लिए होगी.

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राज्य बोर्ड्स में भी AI का झंडा

अभी तक CBSE स्कूलों में आठवीं से AI वैकल्पिक था. 2024-25 में 7.9 लाख बच्चों ने 9वीं-10वीं में और 50 हजार ने 11वीं-12वीं में AI चुना. लेकिन राज्य बोर्ड्स में ज्यादातर बच्चों को ये मौका नहीं मिलता. 2026 से हर राज्य बोर्ड में AI कम्पलसरी या वैकल्पिक रहेगा. यानी बिहार, यूपी, राजस्थान से लेकर छोटे-छोटे बोर्ड्स तक, AI हर कक्षा में पहुंचेगा.

स्किल सब्जेक्ट्स की अनदेखी खत्म

NCERT की ‘परख’ रिपोर्ट चौंकाने वाली है. दरअसल, 90% बोर्ड्स में स्किल सब्जेक्ट वैकल्पिक हैं. सिर्फ 9.5% ने इन्हें जरूरी बनाया. शिक्षाविद् कहते हैं, “मार्केट अब डिग्री नहीं, स्किल मांगता है.” पितामपुरा की एम.एम. पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल रूमा पाठक बताती हैं, “पहले वोकेशनल कोर्स पुराने थे. अब AI, रोबोटिक्स, डेटा साइंस जैसे कोर्स बच्चों को जॉब-रेडी बनाएंगे.”

CBSE-NCERT ने सिंगापुर, फिनलैंड, अमेरिका के AI करिकुलम स्टडी किए. लेकिन कॉपी-पेस्ट नहीं होगा. भारतीय गांव का बच्चा जो इंटरनेट से दूर है, उसके लिए ऑफलाइन मॉड्यूल्स होंगे. शहर के बच्चे क्लाउड प्रोजेक्ट करेंगे.

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