Ladakh Violence: लद्दाख हिंसा में अब तक 4 लोगों की मौत और 70 लोग घायल हो गए हैं. लोगों ने जमकर तोड़फोड़ की, बीजेपी दफ्तर और सीआरपीएफ की गाड़ी में आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई. केंद्र ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है. सरकार का कहना है कि उन्होंने लोगों को भड़काया.
‘नेपाल के Gen-Z प्रदर्शन का जिक्र कर भड़काया’
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने बुधवार को लद्दाख हिंसा पर एक बयान जारी किया. इसमें सोनम वांगचुक को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार लगातार संवाद की प्रक्रिया में थी. गृह मंत्रालय ने बताया कि 10 सितंबर को सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल शुरू की थी, जबकि उनकी मांग उच्च अधिकार प्राप्त समिति में चर्चा का हिस्सा थी.
मंत्रालय की ओर से कहा गया कि लद्दाख में अनुसूचित जनजाति का रिजर्वेशन 45 फीसदी से बढ़ाकर 84 फीसदी कर दिया गया है. परिषदों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दिया गया. इसके साथ ही भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक मान्यता भी दी गई. केंद्र ने वांगचुक पर आरोप लगाते हुए कहा कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल में Gen-Z आंदोलनों का जिक्र कर लोगों को भड़काया.
लद्दाख में आज भी कर्फ्यू लागू रहेगा
सोनम वांगचुक 10 सिंतबर से 4 मांगों को लेकर भूख हड़ताल कर रहे थे. ये चार मांगों- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल करना, कारगिल और लेह को अलग-अलग लोकसभा बनाना और सरकारी नौकरियों में स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता शामिल हैं. सरकार ने वांगचुक पर आरोप लगाते हुए कहा कि सोनम ने भूख हड़ताल खत्म कर दी लेकिन उन्होंने भीड़ को शांत करने की जगह अपने गांव एंबुलेंस से लौट गए.
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24 सितंबर को अचानक बड़ी संख्या में युवा प्रदर्शनकारी लेह के एनडीएस ग्राउंड में इकट्ठा होने लगे. नारेबाजी से शुरू हुआ प्रदर्शन पत्थरबाजी और आगजनी में तब्दील हो गया. फिलहाल सुरक्षाबलों ने स्थिति को अपने नियंत्रण में ले लिया है और लद्दाख में आज भी कर्फ्यू लागू रहेगा.
