Chenab Rail Bridge: भारत ने एक ऐसा इतिहास रच दिया, जिसकी गूंज न सिर्फ हिंदुस्तान में, बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई दे रही है. जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बना चिनाब रेल ब्रिज आज राष्ट्र को समर्पित होने जा रहा है. ये सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग का कमाल, सैन्य ताकत का प्रतीक और कश्मीर को देश से जोड़ने का एक मजबूत रास्ता है.
एक सपना जो 22 साल बाद हुआ सच
सपना देखा था साल 2003 में, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस ब्रिज की नींव रखी थी. 22 साल की मेहनत, तकनीकी चुनौतियों और इंजीनियरों की जिद के बाद आज ये ब्रिज तैयार है. ये चिनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊंचा है, यानी पेरिस के मशहूर एफिल टावर से 35 मीटर और दिल्ली की कुतुब मीनार से 287 मीटर ऊंचा. सोचिए, कितना भव्य होगा ये नजारा, जब ट्रेनें इस आसमान छूते पुल पर दौड़ेंगी.
इंजीनियरिंग का अनोखा नमूना
चिनाब रेल ब्रिज उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसकी लंबाई 1315 मीटर है और इसे बनाने में 1486 करोड़ रुपये की लागत आई. ये ब्रिज इतना मजबूत है कि 266 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के भूकंप को भी झेल सकता है. ये भूकंपीय क्षेत्र 5 में बना है, जहां भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा होता है. फिर भी, इसकी उम्र 125 साल से ज्यादा बताई जा रही है. यानी, ये ब्रिज न सिर्फ आज, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक तोहफा है. इतना ही नहीं, इस ब्रिज पर मिसाइल से भी हमला किया जाए तो भी नहीं हिलने वाला है.
कश्मीर को देश से जोड़ने का नया रास्ता
कश्मीर की बर्फीली वादियों का सर्दियों के दौरान देश से संपर्क टूट जाता था. लेकिन अब चिनाब रेल ब्रिज ने इस दूरी को खत्म कर दिया है. कटरा से श्रीनगर की यात्रा का समय, जो पहले कई घंटों का था, अब घटकर सिर्फ 3 घंटे रह जाएगा. जून 2024 में इस ब्रिज पर पहला ट्रायल रन हुआ था, और जनवरी 2025 में वंदे भारत ट्रेन ने भी यहां सफलतापूर्वक दौड़ लगाई. ये ब्रिज न सिर्फ यात्रियों के लिए, बल्कि टूरिज्म और व्यापार के लिए भी गेम-चेंजर साबित होगा. कश्मीर के सेब, हस्तशिल्प और पर्यटन अब और आसानी से देश-दुनिया तक पहुंचेंगे.
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क्यों डरे हुए हैं चीन और पाकिस्तान?
चिनाब रेल ब्रिज सिर्फ एक इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं, बल्कि भारत की सैन्य ताकत का भी प्रतीक है. इस ब्रिज की वजह से भारतीय सेना अब हर मौसम में LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) से लेकर LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) तक आसानी से पहुंच सकेगी. लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्रों में रसद और सैन्य बलों की तैनाती अब पहले से कहीं ज्यादा तेज होगी. यही वजह है कि चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है.
नवंबर 2024 में खबरें आई थीं कि चीन ने इस ब्रिज की जासूसी के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का सहारा लिया. पाकिस्तान के मीडिया हाउस डॉन ने लिखा, “ये ब्रिज लद्दाख में रसद की सप्लाई में क्रांति लाएगा. भारत और चीन, जो दक्षिण एशिया में रणनीतिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, इस ब्रिज से भारत को बड़ी बढ़त मिलेगी.” 2020 में भारत-चीन के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों की सेनाएं LAC पर आमने-सामने हैं. ऐसे में चिनाब ब्रिज भारत को एक रणनीतिक ताकत देता है.
सिर्फ पुल नहीं, भारत की ताकत का प्रतीक
चिनाब रेल ब्रिज भारत के लिए सिर्फ एक रेलवे लाइन नहीं, बल्कि उसकी एकता, ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक है. ये ब्रिज न सिर्फ कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ेगा, बल्कि भारत के इरादों को भी दुनिया को दिखाएगा. ये कहता है कि भारत हर चुनौती का जवाब देने के लिए तैयार है, चाहे वो प्रकृति की हो, तकनीक की हो या फिर सामरिक. तो अगली बार जब आप कश्मीर की वादियों में ट्रेन से सफर करें, और ये ब्रिज आपके नीचे से गुजरे, तो गर्व से सीना चौड़ा कर लीजिए. क्योंकि ये सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि भारत की उड़ान है, जो आसमान छू रही है.
