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भारत के राफेल पर चीन-PAK ने चलाया था फेक कैंपेन, J-35 बेचने की थी साजिश, अमेरिकी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

china fake campaign against rafale

चीन-पाक का राफेल के खिलाफ फर्जी कैंपेन

China Fake Campaign Against Rafale: अमेरिका की एक नई खुफिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने एक सोची-समझी साजिश के तहत झूठ फैलाया.

अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग ने कहा है कि चीन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाई तस्वीरें प्रसारित करने के लिए फ़र्ज़ी सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल किया. इनके जरिए फर्जी तस्वीरें बनाईं जिनमें दिखाया गया कि राफेल विमान तबाह हो गए हैं और इन्हें चीनी हथियारों से मार गिराया गया. इस झूठ को फैलाने के पीछे चीन की एक सोची-समझी साजिश थी.

जे-35 की बिक्री बढ़ाना चाहता था ड्रैगन

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की ये हरकतें ग्रे जोन रणनीति का हिस्सा थीं, जिसका उद्देश्य अपने जे-35 लड़ाकू विमानों के बदले फ्रांसीसी राफेल विमानों की बिक्री को कमज़ोर करना था. चीन दुनिया को ये दर्शाना चाहता था कि राफेल कमजोर है और उनका जे-35 विमान शक्तिशाली है. चीन दुनिया को यह संदेश देना चाहता था कि चीनी हथियारों के आगे राफेल कमजोर पड़ गया.

भारत ने पाक के कई एयरबेस किए थे तबाह

अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे. इसके बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के अंदर आतंकी ढांचों को तबाह कर दिया गया था. जबकि भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने बौखलाहट में सीमावर्ती इलाकों पर फायरिंग शुरू की तो भारत ने पाकिस्तान के कई एयरबेस और और सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया था.

भारतीय वायु सेना प्रमुख एपी सिंह ने पुष्टि की थी कि भारतीय सेना ने इस हमले के दौरान पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के साथ-साथ एक प्रमुख हवाई निगरानी विमान को भी मार गिराया था. साथ ही भारत ने राफेल गिराने के पाक के दावों को खारिज कर दिया था. भारत ने स्पष्ट किया था कि सभी राफेल सुरक्षित हैं.

चीन-पाक की मिलीभगत

पाकिस्तान ने भी लगातार राफेल गिराने के दावे किए, लेकिन बदले में एक अदद सबूत तक नहीं पेश कर पाया. जाहिर है सबूत था नहीं, क्योंकि ये एक झूठ था, जिसमें पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी शामिल था.

दूसरी तरफ, भारत में भी कुछ राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया कि देश को ये मालूम होना चाहिए कि ऑपरेशन सिंदूर में कितना नुकसान हुआ. सरकार से ये पूछा जाने लगा था कि कितने विमान गिरे और अगर गिरे तो क्या वे राफेल थे. भारत में पूछे जाने वाले ऐसे सवालों ने चीन के झूठ को उनकी आवाज देने का काम किया, जो लगातार इस मकसद से झूठ फैला रहा था कि उसके जे-35 की बिक्री बढ़े और राफेल को कमतर आंका जाए.

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आज के समय में युद्ध केवल हथियारों से नहीं लड़ा जा रहा है. फर्जी तस्वीरें और फर्जी जानकारी को सोशल मीडिया के जरिये फैलाकर एक नैरेटिव सेट करना भी युद्ध का हिस्सा बन गया है. इस अघोषित युद्ध में जाने-अनजाने वे लोग दूसरे देशों का हथियार बन जाते हैं जो बिना-सोचे समझे गलत खबरों और तस्वीरों को शेयर करने लगते हैं.

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