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“कुर्सी सिर पर चढ़ जाए, तो यह…”, CJI Bhushan Gavai ने ऐसा क्यों कहा?

CJI Bhushan Ramkrishna Gavai

सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई

CJI Bhushan Gavai: शुक्रवार को महाराष्ट्र के दर्यापुर में नई अदालत की इमारत के उद्घाटन के मौके पर देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण गवई ने न्यायपालिका, प्रशासन और वकीलों को ऐसा संदेश दिया, जो हर किसी को सुनना चाहिए. उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि कोई भी कुर्सी, चाहे वह जज की हो, डीएम की हो या पुलिस कप्तान की, जनता की सेवा के लिए है, घमंड के लिए नहीं.

कुर्सी का घमंड न्याय और सेवा दोनों को कर देता खत्म

CJI गवई ने अपनी बात बहुत साफ तरीके से रखी, “अगर यह कुर्सी सिर पर चढ़ जाए, तो यह सेवा नहीं, बल्कि पाप होगा.” उनका यह बयान उन सभी के लिए एक बड़ी सीख है जो किसी भी पद पर बैठे हैं. उन्होंने बताया कि कुर्सी का घमंड कैसे न्याय और सेवा दोनों को खत्म कर देता है.

उन्होंने जजों और वकीलों को भी आइना दिखाया. CJI गवई ने कहा कि जजों को वकीलों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि अदालतें दोनों की साझा जगह हैं. उन्होंने जूनियर वकीलों को भी नसीहत दी, “कई बार देखता हूं कि 25 साल का वकील कुर्सी पर बैठा होता है और जब 70 साल के सीनियर वकील आते हैं, तो उठता भी नहीं. थोड़ी तो शर्म करो, सीनियर का सम्मान करो.”

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दर्यापुर को मिली नई न्याय की उम्मीद

इस मौके पर दर्यापुर और अंजनगांव क्षेत्र को एक बड़ी सौगात मिली. 28.54 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस नई इमारत में अब दिवाणी (सिविल) और फौजदारी (क्रिमिनल) दोनों तरह के मामलों की सुनवाई करेगी. इस उद्घाटन समारोह में कई जज, जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी, वकील संघ के सदस्य और बड़ी संख्या में आम लोग मौजूद थे. यह इमारत क्षेत्र में न्याय प्रक्रिया को और मजबूत करेगी.

“झुकना सीखो, अकड़ना नहीं”

पूरे भाषण के दौरान CJI गवई का जोर इसी बात पर रहा कि कोई भी पद सिर्फ और सिर्फ जनता की सेवा का माध्यम है. उन्होंने बेबाकी से कहा, “अगर कुर्सी दिमाग में घुस गई, तो न्याय का मोल खत्म हो जाएगा. यह कुर्सी सम्मान की है, इसे घमंड से अपमानित न करें.”

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