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मुंह में राम, बगल में छुरी! पहलगाम हमले पर कांग्रेस की ये कैसी दोमुंही राजनीति?

Pahalgam Attack

बीजेपी कांग्रेस आमने-सामने

Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को आतंकियों ने हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए. ये हमला पाकिस्तान से जुड़े आतंकियों ने किया. इसके बाद देश को एकजुट होने की जरूरत थी, लेकिन कांग्रेस की राजनीति ने सबको हैरान कर दिया है. एक तरफ राहुल गांधी कहते हैं कि वो बीजेपी के साथ हैं, दूसरी तरफ उनकी पार्टी के लोग सरकार पर हमला बोल रहे हैं. अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस ये दोहरी बातें क्यों कर रही है?

क्या हुआ पहलगाम हमले के बाद?

हमले के बाद सरकार ने सभी पार्टियों की बैठक बुलाई. इसमें राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए. राहुल ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ हम बीजेपी के साथ हैं. पाकिस्तान को जवाब देने में सरकार का साथ देंगे.” कश्मीर जाकर भी उन्होंने यही बात कही. लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने कुछ ऐसा किया, जिससे सब हैरान रह गए. उनकी पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर डाला, जिसमें “सर तन से जुदा” की ओर इशारा किया गया था. बीजेपी ने इसे वोट की गंदी राजनीति बताया. खड़गे ने भी पीएम मोदी पर तंज कसा, “बीजेपी मुश्किल वक्त में भी लोगों को बांट रही है.” खड़गे ने यहां तक कहा कि जब पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से बदले की बारी आई तो पीएम मोदी बिहार में चुनाव प्रचार करने चले गए.

कांग्रेस की दोहरी चाल

कांग्रेस की बातों में दो चेहरे दिख रहे हैं. राहुल और खड़गे ने बैठक में कहा कि वो आतंकवाद के खिलाफ सरकार का साथ देंगे. कांग्रेस की बड़ी मीटिंग में भी यही बात हुई कि देश को एकजुट रखना है. इससे वो दिखाना चाहते हैं कि वो देश के साथ हैं. लेकिन कुछ कांग्रेस नेताओं ने उल्टा रास्ता पकड़ा. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा, “लड़ाई से कुछ नहीं होगा.” महाराष्ट्र के नेता विजय वडेट्टीवार ने हमले का ठीकरा सरकार पर फोड़ा. “सर तन से जुदा” वाला पोस्टर तो और भी विवाद खड़ा कर गया. बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस मुस्लिम वोटों के लिए ऐसा कर रही है.

कांग्रेस ऐसा क्यों कर रही है?

कांग्रेस की इस चाल के पीछे कुछ सियासी कारण हैं. पहलगाम हमले से लोग गुस्से में हैं. कांग्रेस नहीं चाहती कि लोग उसे “पाकिस्तान समर्थक” समझें, जैसा कि पहले बीजेपी ने कहा था. इसलिए राहुल और खड़गे सरकार के साथ दिख रहे हैं. वहीं, “सर तन से जुदा” पोस्टर और कुछ नेताओं की बातें मुस्लिम वोटों को लुभाने की कोशिश मानी जा रही हैं.

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पार्टी में तालमेल की कमी

खड़गे का पीएम मोदी पर हमला और संसद सत्र की मांग बीजेपी को मुश्किल में डालने की कोशिश है. कांग्रेस कह रही है कि सरकार ने सुरक्षा में गलती की, जिसका जवाब देना चाहिए. राहुल और खड़गे एक बात कह रहे हैं, लेकिन सिद्धारमैया और वडेट्टीवार जैसे नेता कुछ और बोल रहे हैं. इससे लगता है कि कांग्रेस में एकजुटता नहीं है.

इसका क्या असर हुआ?

कांग्रेस की दोहरी चाल से उसे फायदा कम, नुकसान ज्यादा हुआ. राहुल की बातों से कुछ लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं, लेकिन विवादित पोस्टर और बयानों ने पार्टी की किरकिरी कराई. बीजेपी ने मौका लपका और कांग्रेस को “पाकिस्तान का दोस्त” बताने की कोशिश की. पहले भी, जैसे 2019 में पुलवामा हमले के बाद, कांग्रेस के कुछ बयानों से उसे नुकसान हुआ था. इस बार वो सावधान थी, लेकिन कुछ नेताओं की हरकतों ने फिर मुश्किल खड़ी कर दी.

कांग्रेस चाहती है कि संसद का विशेष सत्र हो, ताकि देश एकजुटता दिखाए. लेकिन बीजेपी इसे सियासी खेल बता रही है. अगर कांग्रेस अपनी बातों में एकरूपता नहीं लाएगी, तो उसकी छवि और खराब हो सकती है.

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