Al-Falah University denial: दिल्ली कार ब्लास्ट मामले में नाम आने के बाद अल-फ़लाह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. भूपिंदर कौर आनंद ने एक बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने आरोपों का खंडन किया है. साथ ही कहा कि हम ऐसे सभी झूठे और अपमानजनक आरोपों की कड़ी निंदा करते हैं.
भूपिंदर कौर आनंद ने बयान जारी कर कहा “हम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम से व्यथित हैं और इसकी निंदा करते हैं. हमें यह भी पता चला है कि हमारे दो डॉक्टरों को जांच एजेंसियों ने हिरासत में लिया है. विश्वविद्यालय का इन व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे विश्वविद्यालय में अपनी आधिकारिक क्षमता में काम कर रहे हैं. हम ऐसे सभी झूठे और अपमानजनक आरोपों की कड़ी निंदा करते हैं और उनका स्पष्ट रूप से खंडन करते हैं.
Delhi Blast | Al-Falah University VC Prof. Dr Bhupinder Kaur Anand releases a statement.
— ANI (@ANI) November 12, 2025
The statement reads, "We are anguished by the unfortunate developments that took place and condemn the same… We have also learnt that two of our doctors have been detained by the… pic.twitter.com/3lScwQRpim
प्रयोगशालाओं का उपयोग एमबीबीएस छात्रों के लिए
उन्होंने आगे कहा कि कुछ प्लेटफ़ॉर्म द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, ऐसा कोई भी रसायन या सामग्री विश्वविद्यालय परिसर में इस्तेमाल, संग्रहीत या संभाली नहीं जा रही है. विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं का उपयोग केवल और केवल एमबीबीएस छात्रों और अन्य अधिकृत पाठ्यक्रमों की शैक्षणिक और प्रशिक्षण आवश्यकताओं के लिए किया जाता है.
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पूरा सहयोग करने की कही बात
उन्होंने यह भी कहा कि अगर जांच एजेंसियों को विश्वविद्यालय संबंधित कुछ भी पूछताछ करनी है तो हम इसके लिए पूरा सहयोग करेंगे. विश्वविद्यालय जांच अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामले में तार्किक, निष्पक्ष और निर्णायक निर्णय पर पहुंचने में सक्षम बनाने के लिए अपना पूरा सहयोग दे रहा है.
2014 में बनी यूनिवर्सिटी
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि अल-फलाह समूह 1997 से कई शैक्षणिक संस्थानों का संचालन कर रहा है, जो 2014 में एक यूनिवर्सिटी के रूप में स्थापित हुआ था और यूजीसी अधिनियम की धारा 2(एफ) और 12(बी) के तहत मान्यता प्राप्त है. यहां 2019 से एमबीबीएस कोर्स संचालित किया जा रहा है. उन्होंने अपील की है कि कोई भी बिना पुष्टि के यूनिवर्सिटी से जुड़े भ्रामक बयान न दें.
