Delhi Blasts Update: अल फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को कोर्ट ने 1 दिसंबर तक 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है. यह फैसला जस्टिस शीतल चौधरी प्रधान ने अपने कैंप ऑफिस से सुनाया है. कोर्ट ने माना कि प्रथम दृष्टया जो साक्ष्य मौजूद हैं, उनके आधार पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फंड का गलत उपयोग किया गया है. जवाद ने मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अल-फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है. अल फलाह समूह के संबंध में पीएमएलए के तहत ईडी द्वारा दर्ज की गई ईसीआईआर की चल रही जांच के तहत अल-फलाह समूह से संबंधित परिसरों में तलाशी की गई. इस दौरान सभी सबूतों की विस्तृत जांच और विश्लेषण किया गया, जिसके बाद जवाद की गिरफ्तारी हुई.
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13 दिन की मिली हिरासत
जांच एजेंसियों ने कोर्ट को बताया कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है. ऐसे में पूछताछ करने के लिए हिरासत जरूरी है ताकि अपराध की आगे की कड़ियों का पता लगाया जा सके, अपराध से अर्जित संपत्तियों को नष्ट होने से रोका जा सके. पूछताछ में पर्याप्त सबूत मिलने की संभावना है. कोर्ट ने एजेंसियों की बात को सुनते ही 13 दिन हिरासत में रखने का फैसला किया है. यानी अब 1 दिसंबर तक जवाद जांच एजेंसियों की हिरासत में रहेगा.
6 साल में कमाए 415.10 करोड़ रुपये
यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कोर्ट को बताया कि साल 2018-19 से 2024-25 के बीच अल-फलाह संस्थान ने लगभग 415.10 करोड़ रुपये शिक्षा शुल्क के रूप में अर्जित किए हैं. वहीं ईडी का दावा है कि यह राशि अपराध से प्राप्त आय है, क्योंकि इस अवधि में विश्वविद्यालय ने अपनी मान्यता को जनता के समक्ष गलत तरीके से प्रस्तुत किया था. कोर्ट ने भी माना कि धनराशि धोखाधड़ी, जालसाजी और फर्जी दस्तावेजों के प्रयोग से सीधे प्राप्त हुई थी. जो पीएमएलए की अनुसूची में शामिल अपराध है.
यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर आतंकी हमले में शामिल
बता दें, दिल्ली में लाल किले के पास हुए बम धमाके के बाद जांच फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी तक पहुंची थी. जिसके बाद मंगलवार को यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद और उसके संबंधित लोगों के करीब 25 ठिकानों पर रेड मारी. इस दौरान जवाद को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. इस यूनिवर्सिटी के कई डॉक्टर आतंकी हमले में शामिल पाए गए हैं.
