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‘बीमार’ पड़े हैं दिल्ली के अस्पतालों में वेंटिलेटर, RTI रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, सरकार और विपक्ष में ठनी

Delhi Hospitals Ventilator Crisis

प्रतीकात्मक तस्वीर

Delhi Hospitals Ventilator Crisis: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सांसों का सहारा बनने वाले वेंटिलेटरों की हालत पर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इंडिया टुडे की आरटीआई रिपोर्ट ने सबको हिलाकर रख दिया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मौजूद 297 वेंटिलेटरों में से 92, यानी 31%, काम ही नहीं कर रहे.

जी हां, आपने सही सुना. लोकनायक (LNJP) जैसे बड़े अस्पताल में 70 से ज्यादा वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं, और PM केयर्स फंड से मिले 41 वेंटिलेटर भी बेकार पड़े हैं. लेकिन दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने इस खबर को सिरे से खारिज कर दिया और कहा, “हमारा हेल्थकेयर सिस्टम पहले से कहीं बेहतर है.”

क्या है पूरा माजरा?

आरटीआई ने दिल्ली के स्वास्थ्य ढांचे की पोल खोल दी. रिपोर्ट कहती है कि लोकनायक अस्पताल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े संस्थानों में वेंटिलेटरों की हालत खस्ता है. 31% वेंटिलेटर खराब होने की बात सामने आई है, जिसमें से कई तो PM केयर्स फंड से आए थे. यानी, जिन मशीनों को मरीजों की जान बचाने के लिए लाया गया था, वे खुद ‘बीमार’ पड़े हैं. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते.

उनका कहना है कि LNJP में 74 में से 69 वेंटिलेटर पूरी तरह ठीक हैं. ट्रॉमा सेंटर में 6 के 6 वेंटिलेटर चालू हैं, और 18 बैकअप में तैयार हैं. जो 2-4 वेंटिलेटर खराब हैं, उनकी मरम्मत जल्द हो जाएगी. मंत्री जी का दावा है कि बीजेपी सरकार के आने के बाद दिल्ली का स्वास्थ्य सिस्टम चमक रहा है.

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AAP ने BJP पर साधा निशाना

इस मुद्दे पर सियासत भी गरमा गई है. आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया और कहा कि ये हालात उनकी नाकामी का सबूत हैं. AAP का आरोप है कि बीजेपी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी की, जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं. दूसरी ओर, दिल्ली सरकार ने आरटीआई के आंकड़ों को ही विवादित बता दिया है. उनका कहना है कि कागजों में कुछ गलतियां हो सकती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.

मरीजों का क्या होगा?

सोचिए, जब अस्पताल में सांस लेने के लिए जरूरी वेंटिलेटर ही खराब पड़े हों, तो मरीजों का क्या हाल होगा? खासकर, कोविड जैसे हालात में वेंटिलेटर किसी मरीज की जिंदगी और मौत का सवाल बन जाते हैं. अगर 31% वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे, तो ये दिल्ली के स्वास्थ्य सिस्टम के लिए खतरे की घंटी है. हालांकि, सरकार का दावा है कि सबकुछ कंट्रोल में है, लेकिन सवाल ये है कि क्या कागजों की बातें मरीजों की जान बचा पाएंगी?

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