RSS-Congress: 26 जून को दिल्ली में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की समीक्षा की मांग की. उन्होंने तर्क दिया कि ये शब्द 1976 में 42वें संशोधन के दौरान आपातकाल में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा जोड़े गए थे. जबकि बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार मूल संविधान में ये शामिल नहीं थे. होसबोले के इस बयान के बाद देश भर में सियासत गरमा गई है. जहां शिवराज सिंह चौहान ने इस बयान का समर्थन किया है वहीं राहुल गांधी ने RSS और BJP पर पलटवार किया है.
शिवराज सिंह चौहान का समर्थन
27 जून को वाराणसी में एक कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होसबोले के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता हमारी संस्कृति का मूल नहीं है’ और ‘समाजवाद की भी जरूरत नहीं है.’ उन्होंने तर्क दिया कि भारतीय संस्कृति में ‘सर्वधर्म समभाव’ पहले से मौजूद है, और आपातकाल में जोड़े गए इन शब्दों को हटाने पर विचार होना चाहिए. चौहान ने कहा- ‘भारत का मूल भाव सभी धर्मों की समानता है… धर्मनिरपेक्षता को आपातकाल में जोड़ा गया, इसे हटाया जाना चाहिए.’
राहुल गांधी का तीखा पलटवार
होसबोले के बयान और शिवराज के मिले समर्थन के बाद कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बीजेपी और RSS पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर RSS और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा- ‘RSS का नक़ाब फिर से उतर गया. संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है. RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए. ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं. संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है. RSS ये सपना देखना बंद करे- हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे. हर देशभक्त भारतीय आख़िरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा.’
RSS का नक़ाब फिर से उतर गया।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 27, 2025
संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है।
RSS-BJP को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और ग़रीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताक़तवर हथियार उनसे छीनना इनका…
क्या है 42वां संशोधन?
1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए थे. इंदिरा गांधी सरकार ने इसे सामाजिक-आर्थिक समानता और धार्मिक निष्पक्षता को मजबूत करने के लिए उठाया गया कदम बताया था. हालांकि, संविधान सभा में प्रोफेसर केटी शाह ने इन शब्दों को शामिल करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे आंबेडकर ने खारिज कर दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि संविधान की संरचना में ये सिद्धांत पहले से मौजूद हैं.
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RSS की मांग संविधान पर हमला- लालू यादव
विपक्ष ने RSS और बीजेपी पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर कहा कि RSS ने 26 नवंबर 1949 को संविधान के लागू होने के बाद से ही इसका विरोध किया और इसे ‘मनुस्मृति’ से प्रेरित नहीं होने के लिए आलोचना की. RJD नेता तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव ने इस मांग को संविधान पर हमला करार दिया है. इधर, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी इसे ‘संविधान के मूल सिद्धांतों को ध्वस्त करने की कोशिश’ बताया. CPI(M) और CPI के नेताओं ने कहा कि ये शब्द स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को दर्शाते हैं.
