Neeraj Singh Murder Case: कोयलांचल की धरती, जहां कोयले की कालिख के साथ सियासत का काला खेल भी चलता है. जहां गोलियों की गूंज और सत्ता की साजिशें एक-दूसरे से गूंथी हुई हैं. उस धनबाद शहर के लोगों के जेहन में 21 मार्च 2017 की वो काली रात आज भी ताजा है, जब सरायढेला के स्टील गेट पर गोलियों की तड़तड़ाहट ने पूरे शहर को दहला दिया था. पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह, उनके ड्राइवर घलटू महतो, पीए अशोक यादव और बॉडीगार्ड मुन्ना तिवारी पर बाइक सवार हमलावरों ने AK-47 से सैकड़ों गोलियां बरसाई थी.
नीरज के शरीर में 25 और मुन्ना के भीतर 67 गोलियां… यह नजारा किसी गैंगस्टर फिल्म से कम नहीं था. इस खूनी मंजर ने धनबाद की सियासत और कोल माफिया की दुनिया को हिलाकर रख दिया था. लेकिन, आठ साल बाद 27 अगस्त 2025 को धनबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, वो चौंकाने वाला है. इस मामले में पूर्व बीजेपी विधायक संजीव सिंह समेत सभी 10 आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए हैं.
कोयलांचल में काल का तांडव
उस रात का मंजर भयावह था. बाइक सवार हमलावरों ने सुनियोजित तरीके से नीरज सिंह और उनके साथियों को निशाना बनाया. AK-47 जैसा घातक हथियार, 100 गोलियों का तूफान और कोयलांचल की सड़कों पर बिखरा खून…यह हत्याकांड धनबाद की सियासत में वर्चस्व की जंग की ओर साफ-साफ इशारा कर रहा था. तब के समय में नीरज सिंह को कोयलांचल का शेर कहा जाता था.
नीरज सिंह हत्याकांड के बाद पुलिस ने 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. मुख्य आरोपी उस वक्त के बीजेपी विधायक संजीव सिंह को नीरज के भाई अभिषेक सिंह की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया. लेकिन आठ साल की लंबी कानूनी जंग, 408 तारीखें, 37 गवाहों के बावजूद अभियोजन कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका.
कोर्ट का फैसला
27 अगस्त 2025 को धनबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट में जज दुर्गेश चंद्र अवस्थी ने फैसला सुनाया. इसके बाद संजीव सिंह समेत सभी 10 आरोपी बरी कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन साजिश को साबित करने में नाकाम रहा. बचाव पक्ष के वकील मोहम्मद जावेद ने इसे ‘ऐतिहासिक फैसला’ बताया और दावा किया कि संजीव सिंह को सियासी साजिश के तहत फंसाया गया था. कोर्ट के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे. SSP प्रभात कुमार, सिटी SP ऋत्विक श्रीवास्तव और SDM राजेश कुमार खुद मौके पर डटे रहे. संजीव सिंह को एम्बुलेंस से कोर्ट लाया गया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 8 अगस्त 2025 को जमानत दी थी.
सिंह मेंशन में उत्सव, रघुकुल में सन्नाटा
फैसले के बाद संजीव सिंह के घर सिंह मेंशन में दीवाली-सा माहौल है. उनकी पत्नी और झरिया की बीजेपी विधायक रागिनी सिंह ने गणपति बप्पा और कोयलांचल की जनता को धन्यवाद देते हुए कहा, “आठ साल का दर्द बयां नहीं कर सकते. यह सच की जीत है.” संजीव की मां कुंती सिंह और बहन किरण ने इसे भगवान का आशीर्वाद बताया. दूसरी ओर, नीरज सिंह का परिवार गम में डूबा है. उनके भाई अभिषेक सिंह ने कहा, “हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन यह न्याय नहीं. हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे.”
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सियासत, परिवार और कोल माफिया का त्रिकोण
यह हत्याकांड धनबाद की सियासत और पारिवारिक वर्चस्व की जंग का नमूना है. नीरज सिंह और संजीव सिंह चचेरे भाई थे. नीरज की पत्नी पूर्णिमा सिंह कांग्रेस की पूर्व विधायक हैं, जबकि संजीव की पत्नी रागिनी सिंह बीजेपी की मौजूदा विधायक. दोनों परिवारों की सियासी प्रतिद्वंद्विता कोयलांचल में किसी से छिपी नहीं. पुलिस ने 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी, लेकिन एक शूटर अमन सिंह की 2023 में जेल में हत्या और दूसरा शूटर रिंकू सिंह की फरारी ने इस केस को और रहस्यमय बना दिया.
अनसुलझे सवाल
धनबाद की सियासत का यह काला अध्याय यहीं खत्म नहीं हुआ. कोर्ट का फैसला आ चुका है, लेकिन कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं. क्या असली हत्यारे कभी पकड़े जाएंगे? अमन सिंह की जेल में हत्या और रिंकू सिंह की फरारी के पीछे कौन है? क्या अभिषेक सिंह की हाईकोर्ट अपील इस मामले में नया मोड़ लाएगी? कोयलांचल की जनता और सियासत की नजरें अब हाईकोर्ट पर टिकी हैं. यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई. धनबाद की सड़कों पर गोलियों की गूंज शायद अभी और सवालों को जन्म देगी.
