Cyber Crime: उत्तर प्रदेश के नोएडा में 72 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला वकील को साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार बनाया है. इस अरेस्ट के जरिए 3.29 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया है. इस मामले में नोएडा पुलिस ने तीन शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार भी किया है. पीड़िता को अवैध व्यापार और हथियार सौदे जैसे झूठे आरोपों में फंसाने की धमकी दी गई.
ठगी का तरीका
अपराधियों ने पीड़िता को फोन कॉल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए डराया-धमकाया. जिससे वह मानसिक दबाव में आ गई. पीड़िता को नौ दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया. उन्हें विश्वास दिलाया गया कि उनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया है. इस दौरान, ठगों ने पीड़िता से 3,29,70,000 रुपये की राशि हड़प ली. यह राशि विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित की गई.
पुलिस कार्रवाई
नोएडा के सेक्टर-36 साइबर क्राइम थाने में पीड़िता की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (BNS) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. नोएडा पुलिस ने जांच के बाद तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (ADCP) साइबर ने बताया कि यह एक संगठित साइबर अपराध गिरोह का हिस्सा है, और जांच में अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है.
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नया साइबर अपराध का तरीका है. जिसमें अपराधी पीड़ितों को फोन, वीडियो कॉल, या मैसेज के जरिए डराते हैं और उन्हें घर में ‘नजरबंद’ जैसी स्थिति में रखने का दावा करते हैं. यह मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर पैसे ऐंठने का एक तरीका है. इस मामले में पीड़िता को लगातार नौ दिनों तक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया.
डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं
यह पहली ऐसी घटना नहीं है. हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे में भी एक बुजुर्ग महिला से 3 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया था. जहां एक अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी गिरोह से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. साइबर अपराधियों द्वारा बुजुर्गों को निशाना बनाने के मामले बढ़ रहे हैं, जिसके लिए पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है.
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पुलिस की अपील
नोएडा पुलिस ने लोगों से अनजान कॉल्स या मैसेज पर भरोसा न करने और किसी भी तरह के डराने-धमकाने वाले संदेशों की सूचना तुरंत पुलिस को देने की अपील की है. साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करने की सलाह दी गई है.
