Cloudburst: आप पहाड़ों की शांत वादियों में हैं और अचानक आसमान से एक साथ लाखों लीटर पानी नीचे गिरने लगे. यह बारिश नहीं, बल्कि प्रकृति का एक भयंकर रूप है जिसे बादल फटना कहते हैं. हाल ही में उत्तराखंड के धराली गांव में हुए दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर लोगों को सदमे में डाल दिया है. बादल फटने से आई अचानक बाढ़ ने कई घरों को तबाह कर दिया और कई जानें चली गईं.
यह सिर्फ पानी गिरना नहीं है, बल्कि यह एक तरह का प्राकृतिक ‘बम’ है, जिसकी ताकत का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है. लेकिन सवाल यह उठता है कि ऐसा होता क्यों है और इस दौरान क्या-क्या होता है? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.
कैसे फट जाता है बादल?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, जब किसी छोटी सी जगह (लगभग 20-30 वर्ग किलोमीटर) में एक घंटे के अंदर 100 मिलीमीटर से ज़्यादा बारिश हो जाए, तो उसे बादल फटना कहा जाता है.
इसे आप ऐसे समझ सकते हैं. सामान्य बारिश में पानी की बूंदें धीरे-धीरे गिरती हैं, जैसे कि नल से पानी टपक रहा हो. लेकिन बादल फटने पर ऐसा लगता है जैसे छत पर रखी पानी की टंकी अचानक फट गई हो और सारा पानी एक साथ ज़मीन पर गिर गया हो.
पानी की गति इतनी तेज़ क्यों होती है?
जब बादल फटते हैं तो पानी की बूंदें नहीं, बल्कि पानी का एक बड़ा हिस्सा एक साथ ज़मीन पर गिरता है. पहाड़ों पर बादल 2,000 से 5,000 मीटर की ऊंचाई पर बनते हैं. इतनी ऊंचाई से गुरुत्वाकर्षण के कारण पानी बहुत तेज़ गति पकड़ लेता है.
बादल से गिरने वाला पानी बारिश की तरह नहीं होता, बल्कि एक तेज़ धार की तरह होता है. इसकी गति 50 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है. जब यह तेज़ रफ़्तार पानी पहाड़ की ढलानों से नीचे उतरता है तो इसकी गति और भी बढ़ जाती है, जिससे यह रास्ते में आने वाली हर चीज़ को अपने साथ बहा ले जाता है.
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घर क्यों ढह जाते हैं?
आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ पानी गिरने से घर कैसे गिर सकते हैं? इसके पीछे कई कारण हैं.
अचानक पानी का दबाव: जब एक साथ करोड़ों लीटर पानी गिरता है, तो यह घरों की दीवारों और दरवाज़ों पर ज़बरदस्त दबाव डालता है. अगर मकान मज़बूत न हो तो यह दबाव उसे तोड़ देता है.
नींव का कमज़ोर होना: पहाड़ी इलाकों में कई घर कच्ची मिट्टी और पत्थरों से बने होते हैं. बादल फटने से पानी ज़मीन में इतनी तेज़ी से रिसता है कि यह मकान की नींव की मिट्टी को बहा ले जाता है, जिससे पूरा ढांचा खोखला होकर धंस जाता है.
भूस्खलन (Landslide): बादल फटने के बाद अक्सर भूस्खलन होता है. ढलान पर मौजूद मिट्टी और पत्थर पानी के साथ मिलकर एक तेज़ धार बना लेते हैं जो अपने रास्ते में आने वाले मकानों को मिट्टी के घर की तरह बहाकर ले जाते हैं.
वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि अगर 1 वर्ग किलोमीटर के इलाके में 100 मिमी बारिश हो तो गिरने वाले पानी का कुल वज़न 100 करोड़ किलोग्राम होता है. इतनी ऊंचाई से गिरते इस पानी में जो ऊर्जा होती है, वह हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम की एक-तिहाई के बराबर हो सकती है.
