Operation Sindoor: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है. लोकसभा में पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने लक्ष्मण रेखा पार की, इसलिए भारत को सख्त कदम उठाने पड़े. उन्होंने आगे कहा कि हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था.
‘हमारे साथ दुनिया के 190 देश’
विदेश मंत्री ने लोकसभा में कहा कि संयुक्त राष्ट्र में शामिल 193 सदस्य देशों में से सिर्फ 3 देश थे, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन नहीं किया. बाकी बचे 190 देशों ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में हमारा समर्थन किया.
#WATCH | Speaking on Operation Sindoor in the House, EAM Dr S Jaishankar says, "The focus for our diplomacy was the UN Security Council. The challenge for us was that at this particular point, Pakistan is a member of the Security Council and we are not… Our goals in the… pic.twitter.com/6F7W6Ssxjk
— ANI (@ANI) July 28, 2025
विपक्ष पर भड़के गृहमंत्री अमित शाह
वहीं जयशंकर जब सदन में बोल रहे थे, तभी विपक्ष हंगामा करने लगा. इस पर गृह मंत्री अमित शाह भड़क गए. उन्होंने ने कहा, “मुझे इस बात पर आपत्ति है कि उन्हें (विपक्ष को) एक भारतीय विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं है बल्कि किसी और देश पर भरोसा है. मैं उनकी पार्टी में विदेशी का महत्व समझ सकता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी पार्टी की सभी बातें यहां सदन में थोपी जाएं. यही कारण है कि वे वहां (विपक्षी बेंचों पर) बैठे हैं और अगले 20 वर्षों तक वहीं बैठने वाले हैं.”
सदन में जयशंकर के बयान के बीच विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा था. इस पर शाह ने कहा, “जब उनके अध्यक्ष बोल रहे थे, तो हम उन्हें धैर्यपूर्वक सुन रहे थे. मैं आपको कल बताऊंगा कि उन्होंने कितने झूठ बोले हैं. अब वे सच नहीं सुन पा रहे हैं. जब इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हो रही हो तो सरकार के प्रमुख विभाग के मंत्री को बोलते हुए टोकना क्या ये विपक्ष को शोभा देता है? अध्यक्ष जी आप उन्हें समझाइए, वरना हम भी बाद में अपने सदस्यों को कुछ नहीं समझा पाएंगे.”
#WATCH सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "जब उनके अध्यक्ष बोल रहे थे, तो हम उन्हें धैर्यपूर्वक सुन रहे थे। मैं आपको कल बताऊंगा कि उन्होंने कितने झूठ बोले हैं। अब वे सच नहीं सुन पा रहे हैं… जब इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हो रही हो… pic.twitter.com/JlYhYRvhvL
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इसके बाद सदन में अपनी बात जारी रखते हुए विदेश मंत्री ने कहा, “हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था. हमारे लिए चुनौती यह थी कि इस विशेष समय में, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है और हम नहीं. सुरक्षा परिषद में हमारे दो लक्ष्य थे: 1- सुरक्षा परिषद से जवाबदेही की आवश्यकता का समर्थन प्राप्त करना, और 2- इस हमले को अंजाम देने वालों को न्याय के कटघरे में लाना.”
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जयशंकर ने कहा, “मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि अगर आप 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान को देखें, तो सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी. उन्होंने पुष्टि की कि आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है. और सबसे महत्वपूर्ण बात, परिषद ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया.”
