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कपड़े, आभूषण और कृषि…ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ का भारत पर कितना असर? जानिए सबकुछ

US-India Trade

ट्रंप के टैरिफ का जवाब देने के लिए तैयार भारत!

US-India Trade: कल्पना कीजिए, आपका पसंदीदा रेस्तरां अचानक दोगुना महंगा हो जाए. पहले 100 रुपये का बिल अब 150 हो जाए, तो क्या आप रोज़ाना वहां जाना चाहेंगे? ठीक वैसा ही है अमेरिका का भारत पर लगाया गया 50% का नया टैरिफ. 27 अगस्त 2025 को लागू हो चुका यह टैरिफ भारत के निर्यात को हिला रहा है. कई सैक्टर पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है.

ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ गेम

अप्रैल 2025 में ट्रंप सरकार ने ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ की शुरुआत की, यह कहकर कि भारत जैसे देश अमेरिकी सामानों पर ज़्यादा टैक्स लगाते हैं. फिर, 31 जुलाई को 25% टैरिफ लगाया गया, जो 7 अगस्त से लागू हो गया. लेकिन असली झटका 6 अगस्त को लगा. अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने की ‘सज़ा’ देते हुए भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया.

अमेरिका चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद करे, ताकि रूस-यूक्रेन युद्ध पर दबाव बने. लेकिन भारत का कहना है, “यह हमारी ऊर्जा सुरक्षा का मामला है, और कई देश रूस से तेल लेते हैं.” यह टैरिफ 86.5 बिलियन डॉलर के भारतीय निर्यात को निशाना बना रहा है, जो भारत की जीडीपी का 2.2% है. लेकिन अच्छी बात? भारत को बातचीत के लिए 21 दिनों का समय मिला था और उसने इसका फ़ायदा उठाया.

कौन से सेक्टर पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

कपड़ा

भारत का कपड़ा कारोबार अमेरिका पर बहुत निर्भर है. भारत से हर साल 10.3 अरब डॉलर के कपड़े अमेरिका जाते हैं, जो हमारे कुल टेक्सटाइल निर्यात का 28% है. अब 50% टैरिफ के साथ ये सामान महंगा हो जाएगा, जिससे भारत को वियतनाम, इंडोनेशिया और बांग्लादेश जैसे देशों से कड़ी टक्कर मिल सकती है. इन देशों पर अमेरिका ने कम टैरिफ (19-20%) लगाया है. यानी हमारा कपड़ा बाजार में मुकाबला करना अब और मुश्किल हो सकता है.

रत्न और आभूषण

हीरे, सोने-चांदी के गहनों का कारोबार भी खतरे में है. भारत हर साल 12 अरब डॉलर के आभूषण अमेरिका भेजता है. पहले ही इस सेक्टर पर 10% टैरिफ था और अब 50% टैरिफ के साथ कीमतें और बढ़ेंगी. इससे भारतीय गहनों की मांग कम हो सकती है और कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

कृषि और समुद्री उत्पाद

भारत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद भेजता है, जैसे चावल, मसाले, डेयरी, मछली और फल-सब्जियां. उदाहरण के लिए, अगर पहले 100 रुपये का चावल अमेरिका में बिकता था, तो अब 50% टैरिफ के बाद वह 150 रुपये का हो जाएगा. खासकर समुद्री उत्पादों (सीफूड) पर सबसे ज्यादा मार पड़ने की आशंका है.

अन्य सेक्टर

चमड़े के जूते, केमिकल और मशीनरी जैसे उद्योग भी प्रभावित होंगे. भारत इन सेक्टर्स से अमेरिका को क्रमशः 1.18 अरब, 2.34 अरब और 9 अरब डॉलर का सामान भेजता है. टैरिफ बढ़ने से इनके दाम बढ़ेंगे और मांग घट सकती है.

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कौन से सेक्टर रहेंगे सुरक्षित?

इलेक्ट्रॉनिक्स

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर, जिसमें स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट शामिल हैं, अभी सुरक्षित दिख रहा है. यह भारत का अमेरिका को सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है. विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका को इस सेक्टर पर टैरिफ लगाने के लिए खास नियमों की समीक्षा करनी पड़ेगी, जो आसान नहीं. तो फिलहाल स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां राहत की सांस ले सकती हैं.

फार्मा

अमेरिका भारत से 10.5 अरब डॉलर की दवाएं खरीदता है, जो हमारे कुल फार्मा निर्यात का 40% है. अभी के लिए ट्रंप ने इस सेक्टर को टैरिफ के दायरे से बाहर रखा है. हालांकि, भविष्य में नए टैरिफ का डर बना हुआ है.

यह टैरिफ भारत के निर्यात को महंगा करेगा, जिससे कुछ सेक्टरों में नुकसान और नौकरियों पर असर पड़ सकता है. लेकिन भारत सरकार और कारोबारी नए बाजार तलाश सकते हैं, जैसे यूरोप या एशिया के देश. साथ ही, ‘मेक इन इंडिया’ को और बढ़ावा देकर हम अपने सामान की घरेलू खपत बढ़ा सकते हैं.

स्मार्ट मूव्स से तूफ़ान को चकमा!

भारत ने पहले से ही ‘मेक इन इंडिया’ और निर्यात विविधीकरण (एक्सपोर्ट डाइवर्सिफिकेशन) के ज़रिए तैयारी शुरू कर दी थी. लेकिन अब, इस नए टैरिफ के बाद प्रतिक्रिया और तेज़ हो गई है. भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जारी है. भारत ने रूस से तेल कम करने का प्रस्ताव भी दिया है, लेकिन किसानों के हित को सबसे ऊपर रखा है. पीएम मोदी ने कहा है, “मैं भारी क़ीमत चुकाने को तैयार हूं, लेकिन किसानों का हित कभी नहीं छोड़ूंगा!”

वहीं, बजट 2025-26 में निर्यातकों के लिए ब्याज़ सब्सिडी और लोन गारंटी की घोषणा की गई है. MSMEs के लिए जीएसटी रिफंड को तेज़ किया गया है. भारत ने यूरोपीय संघ (EU), यूके और यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) साइन किए हैं. निर्यातकों को अफ़्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे नए बाज़ारों पर ध्यान देने की सलाह दी गई है. भारत अपने विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.

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