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आतंकिस्तान से ‘प्रेम’, मुनीर के साथ ‘सीक्रेट डील’…ऐसे ही नहीं पाकिस्तान पर मेहरबान हैं गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले ट्रंप!

Donald Trump Asim Munir Secret Deal

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर

Donald Trump Asim Munir Secret Deal: पाकिस्तान और अमेरिका के बीच अचानक बढ़ी नजदीकियां हर किसी को हैरान कर रही हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान पर सख्ती दिखाने वाला अमेरिका अब उस पर मेहरबान हो गया? जवाब है एक ऐसी सीक्रेट डील, जिसको लेकर ट्रंप ने अपना रंग बदल लिया है. ये कहानी है पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार से जुड़ी एक सनसनीखेज डील की. आइए क्या है पूरा मामला विस्तार से समझते हैं.

अमेरिका की मेहरबानी का क्या है राज ?

पिछले कुछ समय से अमेरिका का रवैया पाकिस्तान के प्रति बदला-बदला सा दिख रहा है. ट्रंप के पहले कार्यकाल के समय पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ी फटकार मिलती थी. तब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में डालकर पाकिस्तान की कमर तोड़ दी गई थी. नतीजा? पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई. लोग खाने को तरसने लगे और देश को कर्ज के लिए भीख तक मांगनी पड़ी. लेकिन अब अचानक अमेरिका की नरमी देख हर कोई हैरान है. तो आखिर माजरा क्या है? जवाब है एक ऐसी डील, जो ट्रंप के परिवार और पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के बीच हुई!

क्रिप्टो डील ने मचाया बवाल

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये कहानी शुरू होती है एक अमेरिकी क्रिप्टोकरेंसी कंपनी ‘वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल’ और पाकिस्तान की नई-नवेली बनी ‘क्रिप्टो काउंसिल’ के बीच हुए सौदे से. ये कंपनी कोई आम कंपनी नहीं है, बल्कि इसमें ट्रंप के बेटों एरिक और डोनाल्ड जूनियर और दामाद जैरेड कुश्नर की 60% हिस्सेदारी है. यानी सीधे तौर पर ये ट्रंप परिवार का बिजनेस है.

पाकिस्तान में क्रिप्टो काउंसिल बनी, और सिर्फ एक महीने के अंदर ही उसने दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज बायनेन्स के संस्थापक चांगपेंग झाओ को अपना सलाहकार बना लिया. इसका मकसद था इस्लामाबाद को दक्षिण एशिया की ‘क्रिप्टो राजधानी’ बनाना. लेकिन असली खेल तो तब शुरू हुआ, जब इस डील को फाइनल करने के लिए अमेरिका से एक हाई-प्रोफाइल टीम इस्लामाबाद पहुंची.

असीम मुनीर का मास्टरस्ट्रोक

इस डील को अंजाम तक पहुंचाने में सबसे बड़ा रोल था पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर का. अमेरिकी टीम का नेतृत्व कर रहे थे ज़ैकरी विटकॉफ, जो ट्रंप के पुराने बिजनेस पार्टनर और अमेरिका के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ के बेटे हैं. इस्लामाबाद में इस टीम का स्वागत खुद असीम मुनीर ने किया. एक सीक्रेट मीटिंग हुई, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल थे. इस मीटिंग के बाद डील फाइनल हो गई.

डील में क्या है खास?

इस सौदे के तहत ‘वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल’ को पाकिस्तान के बैंकों और वित्तीय संस्थानों में ब्लॉकचेन तकनीक लाने की इजाजत मिली. इसमें संपत्तियों को डिजिटल टोकन में बदलना, स्टेबलकॉइन बनाने और डिजिटल फाइनेंस (DeFi) प्रोजेक्ट्स के लिए खास नियमों की सुविधा शामिल है. कहने को तो इसका मकसद है पाकिस्तान में ‘वित्तीय समावेशन’ और ‘डिजिटल बदलाव’ लाना, लेकिन इस डील ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

इस डील पर अब सबकी नजर है, खासकर भारत में हुए हालिया आतंकी हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद. भारत की इस सैन्य कार्रवाई ने पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंचाया, और अब इस डील को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने सफाई दी है कि इस सौदे में कोई ‘राजनीतिक मंशा’ नहीं है, लेकिन ट्रंप परिवार और व्हाइट हाउस की चुप्पी ने चर्चाओं को और हवा दे दी है.

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पहले सख्ती, अब नरमी क्यों?

ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर लताड़ा था. FATF की ग्रे लिस्ट ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया. लेकिन अब ये डील बताती है कि शायद अमेरिका का नया रुख ट्रंप परिवार के बिजनेस हितों से जुड़ा है. इस सौदे ने पाकिस्तान को आर्थिक राहत देने की कोशिश की है, लेकिन ये सवाल भी खड़ा करता है कि क्या अमेरिका अब पाकिस्तान को फिर से अपने पाले में लाना चाहता है?

ये सीक्रेट डील न सिर्फ पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों को नई दिशा दे रही है, बल्कि दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गई है. असीम मुनीर और ट्रंप परिवार के बीच का ये सौदा क्या रंग लाएगा, ये तो वक्त बताएगा.

ट्रंप का रंग बदलना

भारत ने हमेशा ट्रंप का साथ दिया, खासकर चुनाव के दौरान. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, जिसकी सफलता को वॉशिंगटन पोस्ट ने भी माना. भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ, और ट्रंप तब भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखे. लेकिन अब ट्रंप ने गिरगिट की तरह रंग बदल लिया है. पहले ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच सुलह कराई है. इसका भारत ने विरोध किया. फिर ट्रंप ने कहा कि एप्पल को भारत में फैक्ट्री लगाने की जरूरत नहीं, जिससे साफ है कि वो अब अपने बिजनेस हितों के लिए भारत से दूरी बना रहे हैं.

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