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‘आयोग पक्ष-विपक्ष में भेद-भाव नहीं करता’, राहुल गांधी के आरोपों पर EC का जवाब, कहा- वोट चोरी जैसे शब्दों से गुमराह न करें

Gyanesh Kumar, CEC

विपक्ष के आरोपों पर चुनाव आयोग का जवाब

Election Commission: पिछले दिनों चुनाव आयोग (Election Commission) पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई आरोप लगाए. उन्होंने आयोग पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया है. राहुल के अलावा विपक्ष के कई बड़े नेता राहुल के आरोपों को सपोर्ट कर रहे हैं. अब विपक्ष के हालिया बयानों पर चुनाव आयोग ने कड़ा जवाब दिया है. जिसमें उन्होंने पक्षपात और ‘वोट चोरी’ के आरोपों को खारिज किया है. आयोग ने कहा कि वह पक्ष और विपक्ष के बीच कोई भेद-भाव नहीं करता और उसका काम पूरी तरह निष्पक्षता के साथ संवैधानिक ढांचे के तहत होता है.

चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राहुल गांधी से ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करने की अपील की, क्योंकि इससे जनता के बीच भ्रम पैदा होता है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं.

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

राहुल गांधी ने हाल ही में दावा किया था कि लोकसभा चुनावों में कुछ स्थानों पर ‘वोट चोरी’ हुई और चुनाव आयोग ने सत्तारूढ़ दल के पक्ष में काम किया. उन्होंने यह भी कहा कि आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं और यह लोकतंत्र के लिए खतरा है. उनके इन बयानों ने सियासी हलकों में हंगामा मचा दिया और विपक्षी दलों ने इसे समर्थन दिया, जबकि सत्तारूढ़ दल ने इसे आधारहीन बताया.

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा कि वह एक संवैधानिक संस्था है और उसका काम पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होता है. आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को ‘आधारहीन’ और ‘गैर-जिम्मेदाराना’ करार दिया. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि सभी शिकायतों की जांच की जाती है और किसी भी तरह की अनियमितता पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है. आयोग ने कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल न केवल गलत है, बल्कि यह जनता को गुमराह करने का प्रयास है.

कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है- EC

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा- ‘कानून के अनुसार, हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है. चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं. पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण की शुरुआत की है. SIR की प्रक्रिया में, सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख BLA ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है.

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उन्होंने कहा- ‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों और उनके द्वारा नामित BLA के सत्यापित दस्तावेज और टेस्टेमोनियल या तो उनके अपने राज्य या राष्ट्रीय स्तर के नेताओं तक नहीं पहुंच रहे हैं या फिर जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करके भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है. सभी हितधारक मिलकर काम करके बिहार के SIR को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

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