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दो आधार और दो नाम… आखिर क्या है इटावा के कथावाचक मुकुट मणि की जाति का सच?

Etawah Kathavachak

मुकुट मणि के दो आधार कार्ड

Etawah Kathavachak Mukut Mani: उत्तर प्रदेश के इटावा के दांदरपुर गांव में कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत सिंह यादव से बदसलूकी के मामले को लेकर सियासत गरमाई हुई है. दूसरी तरफ, जातीय गोलबंदी भी तेज हो गई है. इन कथावाचकों के सम​र्थन में समाजवादी पार्टी और यादव महासभा के उतरने के बाद अब ब्राह्मण महासभा ने भी गोलबंदी तेज कर दी है. वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इन कथावाचकों को लखनऊ बुलाकर सम्मानित भी किया, जिसके बाद गांव की महिलाओं ने इन पर छेड़खानी के आरोप भी लगाए हैं. इन सबके बीच, मुकुट मणि नामक कथावाचक के दो-दो आधार कार्ड सामने आने से मामला और तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है.

कथावाचक के दो आधार कार्ड आए सामने

कथावाचक के दो आधार कार्ड सामने आने के बाद इसकी जांच शुरू कर दी गई है. दोनों आधार कार्ड में एक ही नंबर अंकित है और कथावाचक की एक ही फोटो है. जबकि, दोनों में नाम अलग-अलग हैं. एक आधार कार्ड में नाम ‘मुकत सिंह’, जबकि दूसरे में ‘मुकट मणी अग्निहोत्री’ अंकित है. इसके कारण कथावाचक की जाति को लेकर बहस और भी तेज हो गई है.

महिला ने लगाया छेड़खानी का आरोप

गांव की रेनू तिवारी ने इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से छेड़खानी की शिकायत की है और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है. रेनू ने कहा कि पहले दिन की कथा के बाद जब वह भोजन करवा रही थीं तब कथावाचक मुकुट मणि ने उनकी उंगली पकड़कर बदतमीजी करने की कोशिश की थी. इस मामले में पीड़ित महिला के पति जयप्रकाश तिवारी का कहना है, “हम लोगों को कुछ नहीं मालूम था, शाम को उन लोगों ने मेरी पत्नी के साथ बदतमीजी की, छेड़खानी की और विरोध करने पर धमकाने लगे.” तिवारी ने आरोप लगाया कि कथावाचकों ने उन्हें यह कहते हुए धमकाया कि उनका संबंध अखिलेश यादव से हैं और वे हमें घर से उठा लेंगे. जयप्रकाश तिवारी ने कहा कि उसी वक्त मालूम हुआ कि ये कथावाचक ब्राह्मण नहीं, यादव हैं.

ब्राह्मण महासभा ने भी गोलबंदी तेज की

इस मामले में ब्राह्मण महासभा ने भी गोलबंदी तेज कर दी है. ब्राह्मण समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने कहा कि ये कथावाचक फर्जी आधार कार्ड बनवाकर खुद को ब्राह्मण बताते थे और लोगों को गुमराह करते थे. लेकिन जब अब सच्चाई सामने आ गई है. अरुण दुबे ने मारपीट की घटना की निंदा की और कहा कि महिला के साथ छेड़खानी की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कथावाचकों पर कार्रवाई की मांग भी की.

अखिलेश यादव ने कथावाचकों को किया सम्मानित

इस मामले में राजनीति तब और तेज हो गई जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन कथावाचकों को सम्मानित किया. अखिलेश यादव ने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट करते हुए लिखा, “लखनऊ में ‘इटावा कथावाचन पीडीए अपमान कांड’ के पीड़ितों का सम्मान किया गया और उनकी आर्थिक हानि के लिए सहायता राशि दी गयी व जिस दृष्टिहीन कलाकार की ढोलक छीनी गयी, उसे नई ढोल भी दी गयी.”

सपा प्रमुख ने आगे लिखा, “भागवत कथा तो सबके लिए है, जब सब सुन सकते हैं तो सब बोल क्यों नहीं सकते? ⁠भागवत तो भगवान कृष्ण से जुड़ी है, अगर सच्चे कृष्ण भक्तों को ही भागवत कथा कहने से रोका जाएगा तो कोई ये अपमान क्यों सहेगा? कुछ लोग कथावाचन में अपना एकाधिकार बनाए रखना चाहते हैं. कथावाचन को जिन्होंने भावना की जगह व्यवसाय बना लिया है, ‘इटावा कथावाचन पीडीए अपमान कांड’ उन्हीं कुछ प्रभुत्ववादियों और वर्चस्ववादियों की वजह से घटित हुआ है.” साथ ही यह भी कहा कि अगर PDA समाज से इन लोगों को इतना ही परहेज है तो घोषित कर दें कि परंपरागत रूप से कथा कहने वाले वर्चस्ववादी, PDA समाज द्वारा दिया गया चढ़ावा-चंदा, दान-दक्षिणा कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो का पुलिस ने संज्ञान लिया था. वीडियो में कथावाचक के साथ अभद्रता और बाल काटते देखा जा सकता था. जांच के दौरान सामने आया कि यह घटना 21 जून को इटावा के गांव दादरपुर की है, जहां भागवत कथा का आयोजन किया गया था और कथावाचक मुकुट मणि यादव ने कथा सुनाई थी. आरोप है कि कथावाचक ने खुद को ब्राह्मण बताया लेकिन जाति का पता लगने पर ग्रामीण भड़क गए थे और कथावाचकों के साथ मारपीट की. इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन, अब महिलाओं द्वारा छेड़खानी का आरोप लगाने के बाद यह मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है.

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