Farmers Protest: अपनी मांगों को लेकर लंबे वक्त से आंदोलन कर रहे किसानों ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री संग बैठक की. लेकिन बैठक के दौरान हुई बहस के बाद सीएम मीटिंग छोड़कर चले गए. इसके बाद किसानों ने चंडीगढ़ में ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया. आज पंजाबभर से किसानों का जत्था चंडीगढ़ कूच कर रहा है. हालांकि, इस बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बड़ा बयान दिया है.
भगवंत मान ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, “मैंने किसानों से कहा था कि आप हर दिन ‘रेल रोको’, ‘सड़क रोको’ जैसे प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पंजाब को भारी नुकसान हो रहा है. राज्य को आर्थिक क्षति हो रही है. पंजाब एक ‘धरना’ राज्य बनता जा रहा है. मेरी सौम्यता को यह मत समझना कि मैं कार्रवाई नहीं करता. मैं 3.5 करोड़ लोगों का संरक्षक हूं, मुझे सभी का ख्याल रखना है.”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “मीटिंग में मैंने उनसे पूछा कि 5 मार्च को प्रदर्शन जारी रहेगा या नहीं, तो उन्होंने कहा कि यह जारी रहेगा. फिर मैंने उनसे कहा कि आपने मुझे एक घंटा क्यों बिठाया? मैं सच में उठकर चला गया. मैंने उनसे कहा कि मैंने यह बैठक डर के कारण नहीं बुलाई थी, मैं पहले भी उनसे मिल चुका हूं, मैं उनका दोस्त हूं. लेकिन अगर आप यह कहते हैं कि मोर्चा जारी रहेगा और बैठक भी होगी, तो मैं बैठक रद्द कर देता हूं और आप अपना मोर्चा जारी रख सकते हैं.”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “मैं किसानों की समस्याओं को समझता हूं, लेकिन राज्य की आर्थिक स्थिति और जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें आंदोलन और प्रदर्शन की सीमाएं तय करनी होंगी.
CM मान ने हमारी बेइज्जती की- किसान
CM के मीटिंग छोड़कर जाने के बाद किसान नेता ने मीडिया से कहा कि हमारी मीटिंग काफी अच्छी चल रही थी. कुछ मांगों को लेकर बहस हो गई थी. हमने जब अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से बातचीत शुरू की तो सीएम ने हमारी बेइज्जती की. सीएम ने कहा कि आप लोग सड़कों पर मत बैठा करो. सीएम ने हमसे 5 तारीख को होने वाले प्रोग्राम के बारे में जानकारी मांगी. अब सीएम मान के साथ खटपट के बाद किसान और नाराज हो गए हैं. एसकेएम से जुड़े सभी किसान नेता ट्रैक्ट- ट्रॉली के साथ चंडीगढ़ पहुंचने की कोशिश में हैं. हालांकि, मान प्रशासन ने मुस्तैदी से चंडीगढ़ बॉर्डर को सील कर दिया है. किसानों को चंडीगढ़ में प्रवेश से रोक दिया गया है. किसी को भी ट्रैक्टर के साथ चंडीगढ़ में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है.
किसानों की मांगें
किसानों की प्रमुख मांगों में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में वृद्धि, भूमिहीन मजदूरों को जमीन आवंटित करना, और किसानों का कर्ज माफ करना शामिल है. इसके अलावा, कई और चिंताएं थीं जैसे कि आवारा पशुओं से फसल की रक्षा, बिजली बिलों में छूट और सरकारी योजनाओं के तहत किसानों के लिए विशेष सुविधाओं का ऐलान.
सरकार ने पहले ही 17 में से 13 प्रमुख मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, जिसमें किसानों के लिए ऋण निपटान योजनाएं और बिजली बिल माफी जैसी योजनाएं शामिल थीं. बावजूद इसके, किसान नेताओं का कहना है कि इन आश्वासनों का असर नहीं दिखा, और सीएम ने उनकी मांगों को नजरअंदाज किया.
गुस्से में किसान
किसानों ने पहले ही चंडीगढ़ में धरना देने की योजना बनाई थी, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाए. पंजाब पुलिस ने किसानों की आवाजाही पर रोक लगा दी और उनके धरने को रोकने के लिए पूरी तैयारी की. इसके बावजूद, किसानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और उनका कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसानों का कहना है कि हमें चंडीगढ़ नहीं जाने दिया जा रहा है. धरने के मद्देनजर चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पॉइंट पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं और सुरक्षा बढ़ा दी गई है. संयुक्त किसान मोर्चा में 30 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हैं. संगठन ने कहा कि बुधवार सुबह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और अन्य वाहनों में चंडीगढ़ के लिए निकले किसानों को पंजाब पुलिस द्वारा रोका जा रहा है.
वहीं, क्रांतिकारी किसान यूनियन जिला मोगा के अध्यक्ष जतिंदर सिंह ने कहा, “जब वे चंडीगढ़ जा रहे थे तो पंजाब पुलिस ने उन्हें मोगा जिले के अजीतवाल में रोक दिया. कुछ किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. किसानों ने चंडीगढ़ जाने की इजाजत नहीं देने पर भगवंत मान सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए. समराला में भी किसानों को पुलिस ने चंडीगढ़ जाने से रोक दिया.”
किन नेताओं को हिरासत में लेने का दावा
एसकेएम ने कहा, “पंजाब पुलिस ने पंजाब भर में विभिन्न किसान नेताओं के घरों पर छापेमारी की गई और बलबीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मनसा, गुरुमीत सिंह भाटीवाल, नछत्तर सिंह जैतों, वीरपाल सिंह ढिल्लों, बिंदर सिंह गोलेवाल, गुरनाम भीखी और हरमेश सिंह समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया. जबकि, जोगिंदर सिंह उगराहां, रमिंदर सिंह पटियाला, बूटा सिंह बुर्जगिल, हरिंदर सिंह लोखोवाल, सतनाम सिंह अजनाला, गुरुमीत सिंह मेहमा और राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला समेत प्रमुख किसान नेताओं के घरों पर पुलिस की छापेमारी की गई है.”
किसान अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि सरकार की ओर से उनके मुद्दों पर सहमति जताने के बावजूद किसी ठोस समाधान का आभाव है. पंजाब में इस समय का माहौल तनावपूर्ण है और आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी तेज हो सकता है, जिससे राज्य और केंद्र सरकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है.
