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“कब समझेंगे कि हम भारतीय मुसलमान हैं…”, फारूक अब्दुल्ला ने ऐसा क्यों कहा?

Farooq Abdullah

फारूक अबदुल्ला, ( प्रमुख, नेशनल कॉन्फ्रेंस )

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) इन दिनों पूरे जोश में हैं. दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में उन्होंने जो बातें कहीं, वो सीधे दिल पर लगीं. अब्दुल्ला साहब ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को तुरंत राज्य का दर्जा वापस देने की मांग उठाई है. उन्होंने साफ-साफ कहा कि 2019 में धारा 370 को हटाने का फैसला ‘गैर-कानूनी और असंवैधानिक’ था.

“क्या तब समझेंगे जब हम टीका करेंगे?”

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि दिल्ली और कश्मीर के बीच की दूरियां कभी कम नहीं हुईं, बल्कि भारत का हिस्सा बनने के बाद तो और बढ़ती ही चली गईं. उन्होंने कहा, “आपको मुसलमानों पर भरोसा नहीं है, यही सच है. ये भरोसा कब आएगा? भगवान जाने! आप हमें इंसान कब समझेंगे, कब समझेंगे कि हम भारतीय हैं? क्या तब समझेंगे जब हम टीका करेंगे?”

अब्दुल्ला ने कहा, “मैं मुसलमान हूं, मुसलमान ही रहूंगा और मुसलमान ही मरूंगा. लेकिन मैं हिंदुस्तानी मुसलमान हूं, पाकिस्तानी या चीनी मुसलमान नहीं! आप हिंदुस्तान के मुसलमानों पर भरोसा कब करेंगे?”

हम यहां भीख मांगने नहीं आए हैं- फारूक अब्दुल्ला

राज्य का दर्जा मांगने को लेकर उन्होंने साफ किया, “हम यहां भीख मांगने नहीं आए हैं. एक भारतीय होने के नाते ये हमारा अधिकार है. हमारा राज्य का दर्जा बहाल करो.” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या एक राज्य को नगरपालिका में बदला जा सकता है, खासकर जब राज्यपाल को भी कानून की जानकारी न हो. उनका दर्द यह भी था कि आज हमें इस नज़रिए से देखा जाता है कि हम कौन सी भाषा बोलते हैं या किस धर्म के हैं. उन्होंने कहा, “ये मेरा भारत नहीं है.” उन्होंने याद दिलाया कि पाकिस्तान के साथ धार्मिक पहचान साझा करने के बावजूद, हमने महात्मा गांधी के भारत को चुना था. काश वो नेता अपनी कब्रों से उठकर देख पाते कि आज भारत क्या बन गया है.”

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जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने भी फारूक अब्दुल्ला की बात का समर्थन करते हुए कहा, “भारत जम्मू-कश्मीर को अपना मुखिया कहता है, लेकिन उस मुखिया को गंभीर चोट पहुंची है.” उन्होंने भी सवाल उठाया कि किस कानून के तहत एक राज्य को नगरपालिका में बदल दिया गया. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि कोर्ट ने माना कि धारा 370 हटाने में सही प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ, फिर भी इसे बरकरार रखा गया. उन्होंने कहा कि इस फैसले की समीक्षा होनी चाहिए. कुल मिलाकर, ये आवाज़ें बताती हैं कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 और राज्य के दर्जे को लेकर अभी भी गहरी कसक है, और नेता इस मुद्दे पर लगातार सरकार से सवाल पूछ रहे हैं.

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