Ahmedabad Plane Crash: अहमदाबाद में विमान क्रैश हादसे में 241 लोगों की मौत हो गई है. हादसे में पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया. रमेश विश्वास नाम का एक यात्री जिंदा बचा है. वहीं टाटा ग्रुप ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये आर्थिक मदद की घोषणा की है. इसके साथ ही टाटा ग्रुप घायलों के इलाज का खर्च भी उठाएगा. टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रेशखरन ने बयान जारी करके परिजनों की मदद का ऐलान किया है.
‘इस दुखद समय में हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं’
टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रेशखरन की तरफ से टाटा ग्रुप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. टाटा ग्रुप ने लिखा, ‘एयर इंडिया फ्लाइट 171 से जुड़ी दुखद घटना से हम बहुत दुखी हैं. इस समय हम जो दुख महसूस कर रहे हैं. उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने परिजनों को खो दिया. टाटा समूह इस त्रासदी में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देगा. हम घायलों के इलाज का खर्च भी वहन करेंगे. इसके साथ ही ये सुनिश्चित करेंगे कि सभी जरूरी देखभाल और सहायता मिले. हम BJ मेडिकल के छात्रावास के निर्माण में सहायता भी केरेंगे. हम इस अकल्पनीय समय में पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं.’
We are deeply anguished by the tragic event involving Air India Flight 171.
— Tata Group (@TataCompanies) June 12, 2025
No words can adequately express the grief we feel at this moment. Our thoughts and prayers are with the families who have lost their loved ones, and with those who have been injured.
Tata Group will…
‘बहुत सारी लाशें हैं, अपने सास-ससुर को कैसे पहचानें’
गुरुवार, 12 जून की दोपहर को गुजरात के अहमदाबाद में एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान फ्लाइट AI171 क्रैश हो गया. प्लेन क्रैश के बाद अब तक कई शव बरामद किए जा चुके हैं. अधिकतर शव बुरी तरह जल चुके हैं. हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों का कहना है कि शव की पहचान करना बहुत मुश्किल है. बड़ौदा के रहने वाले तनवीर मलिक ने बताया, ‘मैंने अपने सास-ससुर को सुबह 11 बजे के आसपास एयरपोर्ट पर छोड़ था और फिर मैं वापस बड़ौदा लौट गया था. इसके बाद मैंने न्यूज देखने के बाद मुझे जानकारी मिली. जब मैं वहां पहुंचा तो बहुत सारी लाशें थीं. उसमें उन्हें पहचानना बहुत मुश्किल था. मेरे सास-ससुर अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे.’
