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जेब हल्की, जिंदगी आसान और कंपनियों की मनमानी पर भी लगाम…जानें GST में क्या-क्या बदलाव करने जा रही है सरकार

GST Reforms 2025

प्रतीकात्मक तस्वीर

GST Reforms 2025: क्या आप भी जीएसटी के जटिल नियमों और मंहगाई से परेशान हैं? दरअसल, केंद्र सरकार जल्द ही जीएसटी में बड़े सुधार लाने वाली है, जो आपकी जेब को राहत देगी और रोज़मर्रा की ज़िंदगी को भी आसान बनाएगी. सितंबर 2025 की शुरुआत में होने वाली जीएसटी काउंसिल (GST Council) की बैठक में ये बदलाव अमल में लाए जा सकते हैं. आइए, जानते हैं कि कैसे ये सुधार आम आदमी, किसानों, युवाओं और छोटे उद्यमियों के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे?

GST में क्या बदलने वाला है?

केंद्र सरकार ने जीएसटी को और सरल बनाने के लिए कमर कस ली है. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने सरकार के प्रस्तावों पर हरी झंडी दे दी है और अब जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन पर अंतिम मुहर लगेगी. इस बार की बैठक कोई साधारण नहीं होगी. ये लंबी चलेगी, क्योंकि हर सामान को टैक्स स्लैब में बांटने पर चर्चा होगी. माना जा रहा है कि सितंबर के पहले या दूसरे हफ्ते में ये बैठक होगी, ताकि अगर ज़रूरत पड़े तो अगली बैठक भी जल्द बुलाई जा सके.

आम आदमी की जेब को राहत

इस बार सरकार का फोकस सीधे आप और हम जैसे आम लोगों पर है. रोज़मर्रा की ज़रूरत की 99% चीज़ें, जो अभी 12% टैक्स स्लैब में हैं, उन्हें 5% के स्लैब में लाया जाएगा. यानी, किराने का सामान, कपड़े और दूसरी ज़रूरी चीज़ें सस्ती होंगी. इतना ही नहीं, इलाज भी अब जेब पर भारी नहीं पड़ेगा. कई मेडिकल उपकरण, जो अभी 28% टैक्स स्लैब में हैं, उन्हें 18% या 5% के स्लैब में शिफ्ट किया जाएगा. इससे अस्पताल का बिल देखकर आपका दिल नहीं दहलेगा.

कंपनियों की मनमानी पर नकेल

पिछले कुछ सालों में हमने देखा कि कुछ कंपनियों ने टैक्स कम होने के बावजूद कीमतें बढ़ा दीं, जिससे आम आदमी को कोई फायदा नहीं हुआ. इस बार सरकार सख्ती बरतेगी. अगर कोई कंपनी कीमतें बढ़ाने की कोशिश करेगी, तो उस पर कड़ी नज़र रखी जाएगी. सरकार का मकसद है कि टैक्स में राहत का सीधा फायदा ग्राहकों, किसानों और छोटे उद्यमियों को मिले, न कि कंपनियों की तिजोरी भरे.

छोटे और मझोले उद्योगों को बूस्ट

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. लेकिन मौजूदा जीएसटी नियमों में कई अड़चनें हैं, जैसे जटिल रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, रिटर्न भरने की उलझन और रिफंड में देरी. अब ये सब इतिहास बनने वाला है. नए सुधारों के बाद जीएसटी रजिस्ट्रेशन सिर्फ 3 दिन में हो जाएगा. वहीं, रिटर्न फाइलिंग पहले से कहीं ज़्यादा आसान होगी. रिफंड भी समय पर मिलेगा, ताकि व्यापारियों को नकदी की कमी न सताए.

इन बदलावों से कारोबार शुरू करना और चलाना आसान होगा, खासकर छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए. इससे न सिर्फ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश में नौकरियों के नए अवसर भी बनेंगे.

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राजस्व का नुकसान

अब आप सोच रहे होंगे कि इतने बड़े टैक्स कटौती से सरकार को नुकसान नहीं होगा? अनुमान है कि दो टैक्स स्लैब लागू होने से 40 से 60 हज़ार करोड़ रुपये का राजस्व कम हो सकता है. लेकिन सरकार का मानना है कि ये नुकसान बड़ा नहीं होगा. जीएसटी में ज़्यादातर सामान और सेवाएं पहले से शामिल हैं, और प्रक्रिया को सरल बनाने से व्यापार बढ़ेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी. ज्यादा खरीदारी होगी, तो टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा.

ये है सरकार का मास्टरप्लान!

मौजूदा जीएसटी सिस्टम में कई खामियां हैं. रजिस्ट्रेशन से लेकर रिफंड तक की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि व्यापारी परेशान हो जाते हैं. इससे न सिर्फ मुकदमेबाज़ी बढ़ रही है, बल्कि देश में कारोबार के लिए अनुकूल माहौल बनाने में भी दिक्कत हो रही है. इन सुधारों के बाद न सिर्फ व्यापारियों को राहत मिलेगी, बल्कि आम लोग भी सस्ते सामान और सेवाओं का फायदा उठा सकेंगे.

जीएसटी काउंसिल की बैठक सितंबर 2025 में होगी, और अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ, तो जल्द ही ये राहत आपके पास पहुंचेगी. ये सुधार न सिर्फ आपकी जेब को राहत देंगे.

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