Health Insurance: अगर आप भी उन लाखों लोगों में से हैं जो हेल्थ इंश्योरेंस के भरोसे हैं, तो आपके लिए एक बड़ी खबर है. बीमा कंपनियां और अस्पताल आपस में भिड़ गए हैं, जिसका सीधा असर आप पर पड़ रहा है. 1 सितंबर से कई बीमा कंपनियों के पॉलिसीधारकों को अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिल पाएगी.
आप सोच रहे होंगे, ऐसा क्यों? दरअसल, एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ने कुछ बीमा कंपनियों के साथ अपने समझौते को रद्द कर दिया है. इसका मतलब है कि अब आपको इलाज का बिल पहले अपनी जेब से भरना पड़ेगा और बाद में बीमा कंपनी से पैसा वापस लेना होगा, जिसे रीइंबर्समेंट कहते हैं. यह उन लोगों के लिए एक बड़ी परेशानी है, जो अचानक आए मेडिकल खर्च से घबराते हैं.
अच्छी खबर भी है!
लेकिन, इस बुरी खबर के बीच एक अच्छी खबर भी है. पीएम मोदी ने 15 अगस्त को एक बड़े बदलाव का संकेत दिया था. सरकार स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर लगने वाले GST को खत्म करने पर विचार कर रही है.
अगर यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो यह आपकी जेब के लिए एक बड़ा तोहफा होगा. अभी, आपको अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 18% GST देना पड़ता है. मान लीजिए, आपका सालाना प्रीमियम 20,000 रुपये है, तो इसमें 3,600 रुपये का GST जुड़ जाता है. यानी, आपको कुल 23,600 रुपये चुकाने पड़ते हैं. GST हट जाने के बाद, आपको सिर्फ 20,000 ही देने होंगे.
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फायदा क्या होगा?
आपकी पॉलिसी की लागत 15% तक कम हो सकती है. प्रीमियम सस्ता होने से और भी लोग हेल्थ इंश्योरेंस खरीद सकेंगे. अभी भी लगभग 40 करोड़ भारतीय ऐसे हैं जिनके पास कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं है. कोविड-19 के बाद से हेल्थ इंश्योरेंस का महत्व बढ़ा है और यह कदम लोगों को भविष्य के लिए आर्थिक रूप से और भी सुरक्षित महसूस कराएगा.
यह प्रस्ताव सितंबर 2025 के मध्य में होने वाली GST काउंसिल की बैठक में चर्चा के लिए रखा जाएगा. अगर इसे हरी झंडी मिल जाती है, तो उम्मीद है कि दिवाली तक यह नया नियम लागू हो जाएगा.
एक तरफ बीमा कंपनियों और अस्पतालों की खींचतान है, वहीं दूसरी ओर सरकार आपको एक बड़ी राहत देने की तैयारी में है. यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों मोर्चों पर क्या होता है. लेकिन, एक बात तय है कि हेल्थ इंश्योरेंस का भविष्य बदलने वाला है.
