UP News: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक निजी माइक्रो फाइनेंस बैंक ने कथित तौर पर लोन की किश्त न चुकाने पर एक व्यक्ति की पत्नी को 5 घंटे तक बंधक बनाए रखा. यह मामला तब सामने आया जब एक व्यक्ति ने बैंक से 40,000 रुपये का लोन लिया था और कुछ किश्तें जमा नहीं कर पाया. बैंक कर्मचारियों ने व्यक्ति को बुलाकर उसकी पत्नी को हिरासत में लिया और कहा- ‘किश्त दो, पत्नी को ले जाओ.’
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मामला बम्हरौली के आजाद नगर मोहल्ले में स्थित एक प्राइवेट समूह लोन देने वाले बैंक से जुड़ा है. पूंछ थाना क्षेत्र के बाबई रोड के रहने वाले रविंद्र वर्मा ने बैंक से 40 हजार रुपये का लोन लिया था, जिसकी 2,120 रुपये प्रति माह किस्त थी. कुछ किश्तों का भुगतान न करने के कारण बैंक ने सख्त रवैया अपनाया.
बैंक की कार्रवाई
बैंक कर्मचारियों ने व्यक्ति और उसकी पत्नी को बैंक बुलाया. वहां पत्नी को कथित तौर पर 5 घंटे तक हिरासत में रखा गया, जिसे अब हर जगह ‘गुंडागर्दी’ के रूप में बताया गया. जब मामला तूल पकड़ा और व्यक्ति ने पुलिस से संपर्क किया, तब जाकर पत्नी को रिहा किया गया. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद दंपति घर लौट सका.
कानूनी पहलू
जब बैंक वालों ने बीवी को नहीं छोड़ा तो पीड़ित ने पुलिस को बताया कि किस्त नहीं जमा करने पर उनकी पत्नी पूजा वर्मा को सोमवार दोपहर 12 बजे से बैंक के अंदर जबरन बैठाकर रखा गया. बैंक कर्मचारियों ने साफ कहा कि जब तक पति लोन की बकाया राशि जमा नहीं करेगा, तब तक उसको छोड़ा नहीं जाएगा. लोन न चुकाने पर बैंकों को सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट, 2002 (SARFAESI एक्ट) के तहत कार्रवाई करने का अधिकार है. हालांकि, किसी व्यक्ति को बंधक बनाना गैरकानूनी और अनैतिक है.
सोशल मीडिया पर इस घटना की तीखी आलोचना हुई. कई यूजर्स ने इसे बैंकों की ‘गुंडागर्दी’ और गरीबों के प्रति असंवेदनशील रवैये का प्रतीक बताया. कुछ ने बड़े उद्योगपतियों द्वारा लाखों करोड़ के लोन डिफॉल्ट करने की तुलना में आम आदमी के साथ इस तरह के व्यवहार को शर्मनाक करार दिया.
बैंक की रिकवरी प्रक्रिया और विवाद
रिकवरी एजेंट्स की भूमिका: यह घटना बैंकों और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों द्वारा रिकवरी एजेंट्स के दुरुपयोग को उजागर करती है. ऐसे एजेंट अक्सर आक्रामक तरीके से किश्त वसूलने का प्रयास करते हैं, जो कई बार कानूनी सीमा से परे चला जाता है.
नैतिक सवाल: इस घटना ने बैंकों की नैतिकता और आम लोगों के प्रति उनके व्यवहार पर सवाल उठाए हैं. विशेष रूप से छोटे लोन लेने वाले ग्राहकों के साथ इस तरह की कार्रवाई को अमानवीय माना गया.
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आगे की कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और महिला को रिहा करवाया. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. दोनों पक्षों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है, तथ्य सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी.
