Uttarakhand: उत्तराखंड सरकार ने जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़ा कदम उठाते हुए ‘उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025’ को मंजूरी दे दी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस बिल को हरी झंडी दी गई, जिसमें धर्मांतरण के दोषियों के लिए उम्रकैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. यह कानून सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और धोखाधड़ी या दबाव से होने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाया गया है.
नए विधेयक में जबरन धर्मांतरण के लिए सजा को मौजूदा 10 साल से बढ़ाकर 14 से 20 साल तक किया गया है. गंभीर मामलों में उम्रकैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
धोखे से शादी पर सजा
इस बिल में धर्म छिपाकर शादी करने या सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों से धर्मांतरण के लिए उकसाने को अपराध माना गया है. ऐसे मामलों में 3 से 10 साल की सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
संवेदनशील वर्गों के लिए विशेष प्रावधान
नाबालिग, महिला, SC/ST, दिव्यांग या मानसिक रोगियों के धर्मांतरण के मामले में 5 से 14 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना निर्धारित है. सामूहिक धर्मांतरण के लिए 7 से 14 साल की सजा का प्रावधान है.
बिना वारंट गिरफ्तारी-संपत्ति जब्ती
नए कानून में पुलिस को बिना वारंट गिरफ्तारी का अधिकार दिया गया है. साथ ही, धर्मांतरण से जुड़े अपराधों के जरिए अर्जित संपत्ति को जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जब्त किया जा सकता है. विधेयक में पीड़ितों को कानूनी सहायता, आश्रय, चिकित्सा सुविधाएं और गोपनीयता सुनिश्चित करने की व्यवस्था की गई है. सरकार इसके लिए विशेष योजनाएं भी बनाएगी.
मॉनसून सत्र में पेश होगा बिल
उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र 19 अगस्त से शुरू हो रहा है, जिसमें इस बिल को पेश किया जाएगा. यह कानून गैर-जमानती होगा, और जमानत केवल कोर्ट की संतुष्टि पर मिलेगी.
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अन्य राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून
उत्तराखंड के अलावा देश के कई राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किए गए हैं, जिनमें जबरन, प्रलोभन, या धोखे से होने वाले धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने के प्रावधान हैं.
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021
सजा: सामान्य धर्मांतरण- 1 से 5 साल की सजा और 15,000 रुपये का जुर्माना.
नाबालिग, महिलाओं, SC/ST के मामले- 2 से 7 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना.
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021
सजा: सामान्य मामले- 1 से 5 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना.
नाबालिग, महिलाओं, SC/ST के मामले- 2 से 10 साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना.
गुजरात: गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021
सजा: सामान्य मामले- 3 से 7 साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना.
नाबालिग, महिलाओं, SC/ST के मामले- 4 से 10 साल की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना.
हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2019
सजा: सामान्य मामले- 1 से 7 साल की सजा.
नाबालिग, महिलाओं, SC/ST के मामले- अधिकतम 7 साल की सजा.
कर्नाटक: कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2022
सजा: सामान्य मामले- 3 से 5 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना.
नाबालिग, महिलाओं, SC/ST के मामले- 3 से 10 साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना.
झारखंड: झारखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2017
सजा: सामान्य मामले- 3 साल तक की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना.
नाबालिग, महिलाओं, SC/ST के मामले- 4 साल तक की सजा और 1 लाख रुपये का जुर्माना.
