Delhi Election 2025: भारत की राजनीति में लगातार बदलाव हो रहे हैं, और एक नया सवाल सामने आ रहा है कि क्या INDIA ब्लॉक (Indian National Developmental Inclusive Alliance) का अस्तित्व संकट में है? दिल्ली चुनावों के बीच कांग्रेस और AAP के बीच बढ़ती टकराव की स्थिति और अन्य घटक दलों के बढ़ते असंतोष ने यह सवाल और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है. हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह नाराजगी एक निश्चित समय के लिए ही है. आइये विस्तार से समझिए क्यों सीजनल है INDIA ब्लॉक में कांग्रेस के साथियों की नाराजगी?
क्यों बना INDIA ब्लॉक?
INDIA ब्लॉक का गठन 2023 में हुआ था, जब प्रमुख विपक्षी दलों ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने का निर्णय लिया. इस गठबंधन का मुख्य उद्देश्य बीजेपी के खिलाफ राष्ट्रीय चुनावों में एकजुटता दिखाना था. इसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), समाजवादी पार्टी (SP), शिवसेना (UBT) और अन्य क्षेत्रीय दल शामिल हैं.
इस गठबंधन को बीजेपी की बढ़ती ताकत का मुकाबला करने के लिए एक रणनीति के रूप में देखा गया था. सभी दलों का मानना था कि यदि वे साथ आते हैं, तो बीजेपी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन अब इस गठबंधन के अंदर ही मतभेद बढ़ते दिखाई दे रहे हैं, और सवाल उठ रहा है कि क्या यह गठबंधन आगामी चुनावों में एकजुट रह पाएगा.
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस और AAP के बीच टकराव
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच की खाई गहरी होती जा रही है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल हैं, लेकिन उनके बीच बढ़ती टकराव की वजह से गठबंधन का भविष्य अनिश्चित हो गया है. कांग्रेस ने पहले आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने की बात की थी, लेकिन अब वह दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने भी अपनी रणनीति तय करते हुए कांग्रेस से किसी भी प्रकार का गठबंधन करने का ऐलान नहीं किया. हालांकि, कांग्रेस ने पहले उम्मीद लगाई थी कि केजरीवाल कम से कम 10 सीट तो दे ही देंगे.
INDIA ब्लॉक में असंतोष के कारण
INDIA ब्लॉक के भीतर एकजुटता दिखाने वाले दलों के भीतर अब असंतोष बढ़ता जा रहा है. यह असंतोष न केवल दिल्ली चुनाव को लेकर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के उद्देश्य को लेकर भी दिखाई दे रहा है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच टकराव के अलावा, कई छोटे दलों के नेताओं ने भी गठबंधन को लेकर अपनी असहमति जताई है. जैसे कि जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा था कि INDIA ब्लॉक का कोई स्थिर भविष्य नहीं है, और यह सिर्फ चुनावी गठबंधन तक ही सीमित रह सकता है. तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने भी कहा है कि INDIA ब्लॉक का अस्तित्व केवल लोकसभा चुनाव तक ही रहेगा. इन बयानों से साफ जाहिर होता है कि राजनीतिक दल अपने-अपने हितों के मुताबिक गठबंधन के भविष्य को लेकर नकारात्मक रुख अपना रहे हैं.
क्या सीजनल है कांग्रेस के खिलाफ यह नाराजगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि INDIA ब्लॉक के भीतर का असंतोष सीजनल हो सकता है, यानी यह असहमति एक निश्चित समय के लिए है. भारतीय राजनीति में यह आम बात है कि गठबंधनों में असहमति होती है, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, सभी दल अपने-अपने राजनीतिक हितों को देखते हुए एकजुट होने की कोशिश करते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, राज्यों की राजनीति अलग-अलग होती है, और इसलिए एक राज्य में गठबंधन में असहमति हो सकती है, लेकिन अगले राज्य में स्थिति बदल सकती है. उदाहरण के लिए, दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच टकराव हो सकता है, लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं.
एकजुटता या टूट?
वर्तमान में यह कहना मुश्किल है कि INDIA ब्लॉक का भविष्य क्या होगा. हालांकि, भारतीय राजनीति में गठबंधन अक्सर अस्थिर होते हैं, और यह देखा गया है कि चुनावों के दौरान दल अपने-अपने राजनीतिक लाभ के लिए एकजुट हो जाते हैं. अगर हम पिछले चुनावों की ओर देखें, तो कई राज्यों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के बीच समझौते हुए हैं, और कभी-कभी मतभेदों के बावजूद वे चुनाव में एक साथ उतरे हैं.
केरल और बंगाल में अलग-अलग समीकरण
INDIA ब्लॉक के भीतर असहमति और मतभेद दिल्ली जैसे राज्यों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि कुछ राज्यों में विभिन्न गठबंधनों और राजनीतिक समीकरणों के कारण स्थिति और भी जटिल होती जा रही है. खासकर केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस और अन्य दलों के साथ स्थानीय गठबंधन के सवाल बने हुए हैं.
केरल की बात करें, तो यहां कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां CPI(M) के नेतृत्व में दो प्रमुख विरोधी ध्रुवों के रूप में उभरी हुई हैं. कांग्रेस के नेतृत्व में UDF (United Democratic Front) और CPI(M) के नेतृत्व में LDF (Left Democratic Front) चुनावी मैदान में आमने-सामने रहते हैं. लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर दोनों दल INDIA ब्लॉक के घटक दल हैं, और वे चुनावों के दौरान अपनी विरोधी स्थिति के बावजूद इस गठबंधन का हिस्सा बने रहते हैं.
पश्चिम बंगाल में भी स्थिति कुछ हद तक अलग है. यहां पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) कांग्रेस के साथ गठबंधन में नहीं है और राज्य में यह दोनों दल एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं. पश्चिम बंगाल में TMC ने लगातार कांग्रेस और BJP दोनों के खिलाफ अपनी राजनीति बनाई है. हालांकि, INDIA ब्लॉक के गठन के समय तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी को चुनौती देने के लिए इस गठबंधन का हिस्सा बनने का निर्णय लिया. इन दोनों राज्यों के राजनीतिक समीकरण इस बात को प्रमाणित करते हैं कि राज्यों के भीतर गठबंधन में असहमति और अलग-अलग राजनीति के कारण राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के तहत एकजुटता बनाए रखना एक कठिन कार्य है.
कांग्रेस और AAP की रणनीति क्या होगी?
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच की लड़ाई कई कारणों से महत्वपूर्ण है. आम आदमी पार्टी, दिल्ली में एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन चुकी है. पार्टी को लगता है कि वह कांग्रेस के बिना भी चुनाव जीत सकती है. दूसरी ओर, कांग्रेस यह मानती है कि दिल्ली में उसकी स्थिति मजबूत करने के लिए उसे आम आदमी पार्टी से अलग होकर अपनी पहचान बनानी होगी.
इस प्रकार, दोनों दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं, लेकिन यह देखना होगा कि अंत में कौन सा दल अपने फैसले में सफल होता है. इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या दिल्ली चुनाव के बाद दोनों दल गठबंधन की ओर लौटेंगे या नहीं.
INDIA ब्लॉक का भविष्य
इस समय INDIA ब्लॉक के भीतर की असहमति और दिल्ली चुनाव को लेकर बढ़ते तनाव को देखकर यह कहा जा सकता है कि गठबंधन के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. हालांकि, राजनीति में कोई चीज स्थिर नहीं रहती, और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, सभी दल अपनी स्थिति और रणनीति में बदलाव ला सकते हैं. अगर दिल्ली चुनाव के बाद यह देखा जाता है कि एकजुटता की आवश्यकता है, तो संभव है कि INDIA ब्लॉक फिर से मजबूत हो. लेकिन, इस समय यह स्पष्ट नहीं है कि गठबंधन का भविष्य क्या होगा. पिछले दिनों अखिलेश यादव से लेकर केजरीवाल तक ने कहा था कि अब इंडी ब्लॉक की जिम्मेदारी ममता बनर्जी को सौंप देनी चाहिए.
आखिरकार, यह भारतीय राजनीति की प्रकृति है कि असहमति के बावजूद दल अपने हितों के अनुसार एकजुट होते हैं, और यही कारण है कि INDIA ब्लॉक का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त होना एक बहुत दूर का अनुमान है. हालांकि, यह राजनीति है यहां कुछ भी हो सकता है.
