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अब देशभर में एक जैसे चलेंगे घड़ी के कांटे! ‘One Nation One Time’ का सपना हुआ सच, वैज्ञानिकों ने कर दिया कमाल

One Nation One Time

One Nation One Time

One Nation One Time: समझिए, आप अपनी घड़ी देख रहे हैं. आपके स्मार्टफोन पर समय कुछ दिख रहा है और आपसे 100 किलोमीटर दूर आपके रिश्तेदार की घड़ी में समय कुछ और दिख रहा है. अब सोचिए, यही समय अगर पूरी तरह से सटीक हो, बिना किसी गड़बड़ी के, और हर जगह एक जैसा दिखे! जी हां, ये अब संभव होने जा रहा है. और इसके पीछे हैं हमारे देसी वैज्ञानिकों की मेहनत और उनके द्वारा किया गया एक शानदार आविष्कार. भारत ने ‘एक राष्ट्र, एक समय’ का सपना पूरा करने की दिशा में एक कदम और बढ़ा लिया है.

भारत ने तैयार किया स्वदेशी टाइम सिस्टम

आज तक, भारतीय मानक समय (IST) तो था, लेकिन असल में हमारे देश का समय अंतरराष्ट्रीय GPS सैटेलाइट्स से निर्धारित होता था. यह समय सटीक था, लेकिन फिर भी हम पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर थे. अब इस निर्भरता को खत्म करने के लिए, भारत ने एक नया और स्वदेशी टाइम सिस्टम तैयार किया है, जो अब ‘नेविगेशन विद इंडियन कंसटलेशन’ (NavIC) और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) को जोड़ने पर आधारित होगा. इसका मतलब यह है कि अब हमारा अपना, भारतीय टाइम, पूरी तरह से सटीक होगा और विदेशी प्रणालियों की जरूरत नहीं पड़ेगी.

लेकिन यह सब हुआ कैसे?

पिछले कुछ महीनों में भारत के वैज्ञानिकों ने एक जादुई काम किया. फरीदाबाद में स्थित NPL (National Physical Laboratory) को अब भारतीय उपग्रह प्रणाली NavIC से जोड़ दिया गया है. ये दोनों मिलकर भारत के लिए एक नया टाइम सिस्टम तैयार कर रहे हैं. और इसमें प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं एटॉमिक घड़ियां.

क्या होती हैं एटॉमिक घड़ियां, यह समझना ज़रूरी है. एटॉमिक घड़ी एक अत्यंत सटीक घड़ी होती है, जो परमाणुओं की रेजोनेंस आवृत्तियों का इस्तेमाल करके समय बताती है. इनकी सटीकता इतनी है कि यह लगभग 10 करोड़ वर्षों में केवल एक सेकंड का अंतर करती है! अब, यही एटॉमिक घड़ियां पूरे भारत में चार प्रमुख केंद्रों—फरीदाबाद, अहमदाबाद, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में स्थापित की जाएंगी. इन केंद्रों के जरिए एटॉमिक घड़ियां सटीक समय को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाएंगी.

करगिल युद्ध से मिली प्रेरणा

इस अनूठे टाइम सिस्टम की आवश्यकता सबसे पहले भारत को करगिल युद्ध के दौरान महसूस हुई थी. उस समय भारत विदेशी सैटेलाइट्स से प्राप्त समय पर निर्भर था, जिससे उसे सटीक और त्वरित लक्ष्यों का निर्धारण करने में कठिनाई हो रही थी. भारत को यह समझ में आया कि अगर समय पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हो, तो यह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बड़ा योगदान कर सकता है. इस विचार के बाद ही लगभग सात साल पहले इस परियोजना पर काम शुरू हुआ था.

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अब क्या बदलने वाला है?

अब पूरे देश में समय का बंटवारा अब सटीक और एक जैसा होगा. अब, समय न केवल हर स्मार्टफोन, लैपटॉप या डिजिटल घड़ी पर सटीक दिखेगा, बल्कि यह एटॉमिक घड़ियों द्वारा निर्धारित किया जाएगा, न कि विदेशी जीपीएस डेटा से. इससे पावर ग्रिड्स, टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग, रक्षा और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी लाभ होगा.

समझिए, यह प्रोजेक्ट अब हमारे देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मील का पत्थर है. विदेशों पर निर्भरता कम होगी, और भारत अपने समय को पूरी तरह से नियंत्रित करेगा.

इससे क्या फायदा?

यह बदलाव न केवल हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, और तकनीकी क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. सटीक समय वितरण के कारण टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क, पावर ग्रिड्स और बैंकिंग सिस्टम में भारी सुधार होगा. रक्षा क्षेत्र को भी फायदा होगा, क्योंकि अब हमारे पास अपना सटीक और विश्वसनीय समय होगा, जिससे मिशन और ऑपरेशंस और भी अधिक प्रभावी होंगे.

जैसा कि पूर्व उपभोक्ता मामले सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा था, इस परियोजना के जरिए भारत का अपना सटीक और विश्वसनीय समय वितरण नेटवर्क स्थापित होगा, और यह विदेशी प्रणालियों पर निर्भरता कम करेगा. इससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी एक नया बल मिलेगा.

तो, भारत अब सिर्फ चांद और मंगल तक ही नहीं, बल्कि समय के मामले में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है. ‘एक राष्ट्र, एक समय’ की यह व्यवस्था न केवल हमारे देश को एक नए युग में प्रवेश दिलाएगी.

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