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भारत-रूस समझौते से भविष्य के दो बड़े मुद्दे सेट! व्यापार भी होगा बमबम और अमेरिका की हेकड़ी होगी कम

PM Modi and Vladimir Putin Meeting Photo for India Russia Deal

हैदराबाद हाउस में पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात

India Russia Strategic Partnership: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा पर पूरी दुनिया की नज़रें टिकी रहीं. खासकर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन से जुड़े देश तो एक-एक मौक़े का आंकलन करते दिखाई दिए. इसी बीच दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान रूस और भारत ने कई अहम समझौते और एमओयू पर हस्ताक्षर किए. साथ ही बदलते वर्ल्ड ऑर्डर को देखते हुए दोनों मुल्कों ने कुछ ऐसे एजेंडे तय किए हैं, जो हक़ीक़त में अपना रूप इख़्तियार करते ही आधी दुनिया की शक्ल-ओ-सूरत बदल देने का माद्दा रखते हैं. इनमें से सबसे ख़ास रहा है “यूरेशियन आर्थिक संघ” (EAEU) के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA). रूस ने भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत में इस बात पर विषेश बल दिया है कि आगामी दिनों में वह भारत के साथ मिलकर यूरेशियन फ़्री ट्रेड अग्रीमेंट तो प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने पर काम करेगा.

क्या है EAEU? FTA से क्या होगा फ़ायदा?

ईएईयू एक क्षेत्रीय आर्थिक ब्लॉक है, जिसमें रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं. इसकी संयुक्त जीडीपी लगभग 6.5 ट्रिलियन डॉलर है, जो भारत के लिए एक विशाल बाजार प्रदान करती है. यह समझौता केवल द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा ही नहीं देगा, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में भी सहायक सिद्ध होगा. साल 2024 में भारत-ईएईयू व्यापार 69 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष से 7% अधिक है लेकिन भारत का व्यापार घाटा (63.8 अरब डॉलर आयात बनाम 4.9 अरब डॉलर निर्यात) असंतुलित बने रहने की चुनौती प्रस्तुत करता है. यदि 6.5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी में भारत बिना टैरिफ़ व्यापार वाली नीति को आगे बढ़ाता है, तो निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था इस कदर मज़बूत होगी कि वह दुनिया के आर्थिक दबाव को भी आसानी से झेलने में सक्षम हो जाएगी.

ग़ौरतलब है कि इस डील की शुरुआत 20 अगस्त 2025 को मॉस्को में हुई, जब भारत और ईएईयू ने समझौते के लिए शर्तों का संदर्भ (टॉआर) पर हस्ताक्षर किए. यह 18 महीने की कार्ययोजना है. जो वस्तुओं पर केंद्रित है, लेकिन बाद में सेवाओं और निवेश को भी शामिल करने की संभावना है. 25 नवंबर 2025 से नई दिल्ली में पहली दौर की औपचारिक वार्ताएं शुरू हुईं, जहां सीमा शुल्क, स्वास्थ्य, तकनीकी मानक और ई-कॉमर्स जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे एमएसएमई, किसानों और मछुआरों के लिए बाजार विविधीकरण का अवसर बताया. अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ (रूसी तेल खरीद पर दंड के रूप में) के बीच यह डील भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखती है, जो यूएस और ईयू बाजारों पर निर्भरता कम करेगी.

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FTA को लेकर पुतिन और मोदी का रुख़

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय सहमति बनी हुई है. 4-5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं ने इसकी प्रगति पर विस्तृत चर्चा की. पुतिन ने कहा कि एफटीए रूस-भारत व्यापार को 2030 तक 100 अरब डॉलर तक ले जाएगा, जबकि मोदी ने ‘शुरुआती निष्कर्ष’ की प्रतिबद्धता जताई. सम्मेलन में उर्वरक संयंत्र, खाद्य सुरक्षा, शिपिंग और चिकित्सा विज्ञान पर कई समझौते हुए, जो आर्थिक सहयोग कार्यक्रम 2025-2030 का हिस्सा हैं. दोनों ने राष्ट्रीय मुद्राओं (रुपया-रूबल) में 96% लेन-देन को बढ़ावा देने पर जोर दिया. यह सहमति रूस के यूक्रेन संघर्ष और पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाती है.

गेम चेंबर बनेगा EAEU?

क्या यह भारत के लिए ‘गेम चेंजर’ बनेगा? तो इसका जवाब है हां, सबसे पहले यह 180 मिलियन उपभोक्ताओं वाले बाजार में प्रवेश देगा, जहां भारत के टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि उत्पादों की मांग बढ़ेगी. ईएईयू के साथ एफटीए भारत के निर्यात को 25% से अधिक बढ़ा सकता है, खासकर एमएसएमई के लिए. दूसरा, यह आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा; रूस से ऊर्जा, उर्वरक और रक्षा उपकरण सस्ते मिलेंगे, जबकि भारत ईरान-रूस के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का लाभ उठाएगा. तीसरा, भू-राजनीतिक रूप से यह ब्रिक्स और एससीओ जैसे मंचों को मजबूत करेगा, चीन और अमेरिका के बीच संतुलन बनाएगा.

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क्या-क्या चुनौतियां हैं?

कुल मिलाकर यह इतना आसान तो नहीं है, इसमें चुनौतियां भी हैं. मसलन, सस्ते आयात (तेल, धातु) से घरेलू उद्योग प्रभावित हो सकते हैं, एफटीए उपयोगिता मात्र 25% है (विकसित देशों के 70-80% के मुकाबले) और पश्चिमी दबाव बढ़ सकता है. फिर भी, यदि वार्ताएं सफल रहीं तो यह 2047 तक विकसित भारत के सपने को गति देगा.

समझौते से अमेरिका में बेचैनी

टैरिफ के जाल में भारत को घकेलने वाले अमेरिका में मोदी-पुतिन की बैठक से हलचल है. पुतिन के दिल्‍ली आते ही अमेरिका को अब भारत की याद आने लगी है. इस बीच अमेरिका ने अपनी राष्‍ट्रीय सुरक्षा रणनीति को जारी किया है और इसमें क्‍वॉड का हवाला देकर भारत के साथ रिश्‍ते को सुधारने की कोशिशों को जारी रखने का आह्वान किया गया है. अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में पैदा हो रहे खतरे से निपटने के लिए भारत की भागीदारी जरूरी है. क्‍वॉड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्‍ट्रेलिया शामिल हैं. इसे हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के खतरे से निपटने के लिए बनाया गया है.

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