Indian Navy Warships: भारतीय नौसेना की बड़ी मुश्किल अब हमेशा के लिए दूर होने जा रही है. युद्धपोतों के इंजन और कल-पुर्जों की कमी से जूझ रही नौसेना के लिए रूस ने एक ऐसा ‘मास्टरस्ट्रोक’ ऑफर दिया है, जो भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा के दौरान यह बड़ा प्रस्ताव दिया गया. रूस ने भारत में ही अपने M-90FR नेवल गैस टर्बाइन इंजन के उत्पादन की पेशकश की है, जिसमें पूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल है.
क्यों खड़ी हुई थी बड़ी समस्या?
भारतीय नौसेना के कई फ्रंटलाइन युद्धपोत, खासकर ‘तलवार-क्लास फ्रिगेट्स’ और ‘क्रिवक-3 क्लास कोर्वेट्स’ जैसे महत्वपूर्ण जहाज, अपने गैस टर्बाइन इंजन और उससे जुड़े अहम पार्ट्स के लिए पहले यूक्रेन पर निर्भर थे. ये कल-पुर्जे यूक्रेन की कंपनी जोर्या-मैशप्रोएक्ट से आते थे.
लेकिन, फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने इस सप्लाई चेन को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया. पिछले तीन सालों से सप्लाई बाधित होने के कारण, मौजूदा जहाजों की मरम्मत और भविष्य के युद्धपोतों के निर्माण में गंभीर बाधा आ रही थी. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, टर्बाइन ब्लेड और फ्यूल पंप जैसे उपकरणों की कमी से नौसेना के करीब 40 फीसदी जहाजों के परिचालन में दिक्कतें आ रही थीं, जिससे मरम्मत कार्यों में अप्रत्याशित देरी हो रही थी.
रूस का ‘मेक इन इंडिया’ गेमचेंजर
भारतीय नौसेना की इस गंभीर चुनौती को समझते हुए रूस ने एक रणनीतिक कदम उठाया है. रूस ने भारत को इंजन आयात करने के बजाय, उसे यहीं बनाने का औपचारिक प्रस्ताव दिया है. M-90FR एक चौथी पीढ़ी का अत्याधुनिक 20 मेगावाट क्लास मरीन गैस टर्बाइन इंजन है. इसे एनपीओ सैटर्न और यूनाइटेड इंजन कॉर्पोरेशन ने मिलकर विकसित किया है. इस प्रस्ताव की सबसे खास बात यह है कि रूसी अधिकारी इसके लिए भारत को पूरी तकनीक देने के लिए तैयार हैं.
रूसी अधिकारियों ने लक्ष्य रखा है कि अगले 5 सालों में इन इंजनों का 60 से 70 फीसदी तक स्वदेशीकरण कर लिया जाएगा. इन इंजनों के लिए असेंबली और मैन्युफैक्चिरंग यूनिट को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) या मुंबई के पास किसी नए ग्रीनफील्ड कॉम्प्लेक्स में स्थापित करने की योजना है.
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नौसेना को मिलेगी तत्काल राहत
नौसेना के लिए घरेलू स्तर पर इन इंजनों की सप्लाई शुरू होना बेहद महत्वपूर्ण है. इससे न केवल मौजूदा जहाजों की परिचालन क्षमता बहाल होगी, बल्कि निर्माणाधीन अतिरिक्त ‘तलवार क्लास युद्धपोतों’ को भी समय पर इंजन मिल पाएंगे.
नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी रियर एडमिरल संजय जे सिंह ने इस ऑफर को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि भले ही भारत अपना स्वदेशी ‘कावेरी मरीन गैस टर्बाइन’ विकसित कर रहा हो, लेकिन रूसी प्रस्ताव एक ‘पुल’ (Bridge) की तरह काम करेगा, जिससे नौसेना को तत्काल और फौरन राहत मिल जाएगी. यह कदम भारतीय नौसेना को एक बड़ी सप्लाई चेन की अनिश्चितता से बाहर निकालकर, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाएगा.
