International Women’s Day: किसी समय में हमारी सोच थी कि गांवों की महिलाएं सिर्फ घर के कामकाज तक ही सीमित रहती हैं. लेकिन समय बदल चुका है. अब वही महिलाएं न केवल घर संभाल रही हैं, बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बना रही हैं. इस बदलाव की एक दिलचस्प कहानी हाल ही में सामने आई, जब डीबीएस बैंक इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गांव की 90% महिलाएं अब अपनी आय का कुछ हिस्सा बचाती हैं.
गांव की महिलाएं
यह रिपोर्ट मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ ग्रामीण इलाकों की 411 महिलाओं पर आधारित है. इन महिलाओं में से ज्यादातर महिलाएं स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्य हैं. ये समूह गांव की महिलाओं को एकजुट करके उनके बीच सहयोग और आत्मनिर्भरता बढ़ाने का काम करते हैं. इस रिपोर्ट के जरिए ये साबित हुआ है कि महिलाएं अब केवल घरों की देखभाल नहीं करतीं, बल्कि वे अपने पैसों को भी संभालने और भविष्य के लिए बचत करने में माहिर हो गई हैं.
कैसे बदल रही हैं महिलाएं?
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन महिलाओं ने अपनी मासिक आय का एक हिस्सा बचाना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, 90% महिलाएं अब अपनी मासिक आय में से कुछ न कुछ बचत करती हैं. इसमें से 57% महिलाएं अपनी आय का 20% से भी कम हिस्सा बचाती हैं. वहीं, 33% महिलाएं 20% से 50% तक बचत करती हैं. अगर हम कुछ खास महिलाओं की बात करें, तो करीब 5% महिलाएं अपनी पूरी आय का आधा हिस्सा या उससे ज्यादा बचा पाती हैं! यह बदलाव दिखाता है कि महिलाएं अब केवल घर के खर्चे नहीं चला रही हैं, बल्कि आर्थिक फैसले भी खुद ले रही हैं और भविष्य के लिए सोच-समझ कर पैसे बचा रही हैं.
पैसे कहां और कैसे रखती हैं महिलाएं?
अब सवाल यह है कि ये महिलाएं अपनी बचत करती कहां हैं? रिपोर्ट के अनुसार, इन महिलाओं में से 56% महिलाएं बैंक में अपनी बचत जमा करती हैं. 39% महिलाएं स्वयं सहायता समूह (SHG) की बचत योजनाओं का हिस्सा बनती हैं, जिनमें महिलाएं मिलकर पैसे बचाती हैं और एक दूसरे की मदद करती हैं. कुछ महिलाएं 18% नकद रूप में पैसे रखती हैं, लेकिन इन पैसों को कहीं निवेश नहीं करतीं.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि महिलाओं का सोने में निवेश करने का रुझान बहुत कम है. सिर्फ 5% महिलाएं सोने में पैसे लगाती हैं. हालांकि, 11% महिलाएं फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रेकरिंग डिपॉजिट (RD) जैसी योजनाओं में निवेश करती हैं. सबसे खास बात यह है कि 64% महिलाएं अपने व्यवसाय का मुनाफा वापस उसी व्यवसाय में लगा देती हैं, ताकि उनका व्यवसाय और बढ़े और वे ज्यादा मुनाफा कमा सकें.
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महिलाएं अब खुद करती हैं वित्तीय फैसले!
अब एक और बहुत बड़ी बात, जो रिपोर्ट में सामने आई है, वो यह है कि महिलाएं अब केवल बचत नहीं कर रही हैं, बल्कि वित्तीय फैसले भी खुद ले रही हैं. 18% महिलाएं अब अपने वित्तीय फैसले खुद ले रही हैं. इसके अलावा, 47% महिलाएं अपने पति के साथ मिलकर ये फैसले लेती हैं, और 24% महिलाएं बताती हैं कि उनके पति ही उनके वित्तीय फैसले लेते हैं. बाकी 11% महिलाएं अपने परिवार के दूसरे सदस्यों से सलाह लेकर फैसले करती हैं.
यह आंकड़ा दिखाता है कि महिलाओं का स्वतंत्रता की ओर बढ़ता हुआ कदम स्पष्ट है. कुछ जगहों पर पुरानी परंपराएं अभी भी कायम हैं, लेकिन अधिकतर महिलाएं अब खुद के फैसले लेने में सक्षम हो चुकी हैं.
“महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देने वाले कार्यक्रमों की जरूरत”
डीबीएस बैंक इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर अज़मत हबीबुल्ला ने कहा, “यह रिपोर्ट हमें यह समझने में मदद करती है कि किस तरह महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देने वाले कार्यक्रमों की जरूरत है.” वहीं, हकदर्शक के सह-संस्थापक अनिकेत डोगर ने भी कहा, “हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच हो, ताकि वे समाज में और अधिक मजबूत बन सकें और एक न्यायसंगत अर्थव्यवस्था का निर्माण हो सके.”
यह कहानी केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि हमारे समाज में महिलाओं का स्थान अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है. वे अब न सिर्फ अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही हैं, बल्कि अपने भविष्य के लिए भी आर्थिक रूप से तैयार हो रही हैं.
महिलाओं की यह बदलती तस्वीर हमें यह बताती है कि अगर उन्हें सही अवसर मिले, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं. उनकी बचत करने की आदत और आर्थिक फैसलों में स्वतंत्रता समाज के लिए एक बड़ा कदम है. महिलाएं अब सिर्फ घर संभालने वाली नहीं, बल्कि सशक्त और वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.
