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मनमुटाव, अपमान, फिर विदाई…यूं ही नहीं धनखड़ साहब ने दिया इस्तीफा, पर्दे के पीछे की ये है कहानी!

Jagdeep Dhankhar Resignation

जगदीप धनखड़ ने क्यों दिया इस्तीफा?

पिछले दिनों भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद हर कोई सोचने लगा कि आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ जो उपराष्ट्रपति को इस्तीफा देना पड़ा? क्या उन्हें सरकार ने हटाया, या बात कुछ और थी? अब जाकर इस रहस्य से पर्दा उठने लगा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यह इस्तीफा यूं ही नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे कई दिनों से चली आ रही खींचतान और बढ़ते मनमुटाव की लंबी कहानी है.

क्या था झगड़े की जड़?

बताया जा रहा है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के केंद्र सरकार के साथ संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे. सूत्रों का कहना है कि धनखड़ का व्यवहार अक्सर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के साथ अच्छा नहीं रहता था. वे बातचीत के दौरान अक्सर कड़ा रुख अपनाते थे और कई बार सार्वजनिक तौर पर भी मंत्रियों को अपमानित कर देते थे.

पिछले साल दिसंबर में जगदीप धनखड़ ने एक समारोह में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को सार्वजनिक रूप से किसानों के मुद्दों पर घेरा था. उन्होंने सरकार की किसान नीति की सबके सामने आलोचना की थी. हालांकि, बाद में जब शीर्ष मंत्रियों ने उनसे मुलाकात की तो उन्होंने अगले ही दिन शिवराज सिंह चौहान को सदन में किसानों का सबसे बड़ा शुभचिंतक बता दिया. यह दिखाता है कि रिश्ते कितने उतार-चढ़ाव भरे थे.

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अमेरिका यात्रा पर ‘मैं बड़ा’ का विवाद!

एक और घटना जिसने संबंधों में खटास पैदा की, वह अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस की भारत यात्रा से ठीक पहले हुई. सूत्रों के मुताबिक, जगदीप धनखड़ ने जोर देकर कहा कि वह जेडी वांस के ‘समकक्ष’ हैं और इस नाते उन्होंने सबसे अहम बैठक की अध्यक्षता करने की मांग कर डाली. लेकिन तब एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने दखल दिया और धनखड़ को याद दिलाया कि जेडी वांस अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का सीधा संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देने आए हैं, और प्रोटोकॉल के अनुसार ऐसा हो ही नहीं सकता था. इस घटना ने भी सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच दूरियां बढ़ा दीं.

अनूठी मांगें और परंपरा तोड़ने की कोशिश!

सूत्रों के मुताबिक, बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी. जगदीप धनखड़ ने कुछ ऐसी मांगें भी कीं, जिन्होंने सरकारी गलियारों में भौंहें चढ़ा दीं. उन्होंने कथित तौर पर मंत्रियों से कहा था कि वे अपने आधिकारिक कार्यालयों में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ-साथ उनकी भी तस्वीर लगाएं. यह एक ऐसी मांग थी जो पुरानी परंपरा से हटकर थी, क्योंकि आमतौर पर सरकारी कार्यालयों में केवल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ही तस्वीरें लगाई जाती हैं.

इसके अलावा, उन्होंने बार-बार अपनी आधिकारिक वाहनों के बेड़े को पूरी तरह से मर्सिडीज कारों में अपग्रेड करने के लिए कहा था. सरकार ने इसे फिजूलखर्ची और अनावश्यक बताया, जिससे तनाव और बढ़ गया.

अचानक राष्ट्रपति भवन में दस्तक और इस्तीफा!

और फिर आया वह आखिरी मोड़, जिसने सरकार और धनखड़ के बीच की डोर तोड़ दी. सूत्रों के अनुसार, जगदीप धनखड़ बिना किसी पूर्व अपॉइंटमेंट के अचानक राष्ट्रपति भवन पहुंच गए. देर रात राष्ट्रपति भवन में उनकी अचानक मौजूदगी ने हड़कंप मचा दिया. वहां उन्होंने 25 मिनट इंतजार करने के बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया.

दिलचस्प बात यह है कि जगदीप धनखड़ को उम्मीद थी कि सरकार उनसे संपर्क करेगी और उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाएगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ! उन्हें वह कॉल कभी नहीं आया. शीर्ष नेतृत्व से संदेश साफ था कि सरकार ने पहले ही फैसला कर लिया था कि उन्हें पद छोड़ना होगा. और इस तरह उनका इस्तीफा बिना किसी दबाव के तुरंत स्वीकार कर लिया गया.

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