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जम्मू-कश्मीर में सियासी भूचाल, क्या गिरने वाली है अब्दुल्ला की सरकार? AAP विधायक ने वापस लिया समर्थन!

Omar Abdullah

जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला

Jammu Kashmir Politics: जम्मू-कश्मीर की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है! आम आदमी पार्टी (AAP) के इकलौते विधायक मेहराज मलिक ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) की अगुवाई वाली उमर अब्दुल्ला सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. यह खबर सुनकर हर कोई हैरान है, क्योंकि मलिक का यह फैसला जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है. लेकिन क्या यह समर्थन वापसी सरकार को हिला पाएगी? आइए, इस सियासी ड्रामे को विस्तार से जानते हैं.

डोडा का वो शेर, जिसने रचा था इतिहास

मेहराज मलिक कोई आम नेता नहीं हैं. डोडा जैसे मुश्किल इलाके से विधायक बनकर उन्होंने पिछले साल विधानसभा चुनाव में इतिहास रच दिया था. बीजेपी के दिग्गज गजय सिंह राणा को 4,538 वोटों से हराकर मलिक ने AAP को जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा में जगह दिलाई. यह जीत इसलिए भी खास थी, क्योंकि AAP को इस क्षेत्र में कोई खास ताकतवर नहीं माना जाता था. मलिक की इस जीत ने उन्हें न सिर्फ डोडा का हीरो बनाया, बल्कि AAP ने उन्हें 21 मार्च 2025 को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया.

मलिक की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. 2013 में AAP में शामिल होने के बाद से ही वे जमीनी स्तर पर लोगों की आवाज उठाते रहे हैं. 2020 में वे कहरा से जिला विकास परिषद के सदस्य बने. 2022 में उन्होंने कहरा से डोडा तक एक विशाल रैली निकालकर अपनी ताकत दिखाई थी. उस वक्त अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू के कई नेता चुप बैठे थे, लेकिन मलिक सड़कों पर उतरकर लोगों की समस्याओं को उठाते रहे. उनकी बेबाकी और जुनून ने उन्हें स्थानीय लोगों का चहेता बना दिया.

क्यों लिया मलिक ने इतना बड़ा फैसला?

शनिवार को मेहराज मलिक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट डालकर बम फोड़ दिया. उन्होंने लिखा, “मैं, डोडा से विधायक मेहराज मलिक, NC के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं. यह फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में लिया गया है, जिनका भरोसा और भलाई मेरी पहली प्राथमिकता है.” इस पोस्ट ने सियासी गलियारों में हंगामा मचा दिया.
लेकिन सवाल यह है कि मलिक ने ऐसा क्यों किया? दरअसल, 13 जून को मलिक ने एक और पोस्ट में इशारा किया था कि वे कुछ बड़ा करने वाले हैं. उन्होंने लिखा था, “अब बहुत हो गया, सरकार के 9 महीने. आने वाले दिनों में बड़े फैसले लिए जाएंगे. जवाबदेही का समय है.” इस पोस्ट में उन्होंने AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और उमर अब्दुल्ला को भी टैग किया था. मलिक ने साफ कारण तो नहीं बताया, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार की कार्यशैली या स्थानीय मुद्दों पर उनकी नाराजगी इस फैसले की वजह हो सकती है.

क्या उमर की सरकार पर पड़ेगा कोई असर?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या मलिक की समर्थन वापसी से उमर अब्दुल्ला की सरकार खतरे में है? जवाब है- नहीं! 90 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में NC के पास 42 विधायक हैं, कांग्रेस के पास 6, और 5 निर्दलीय विधायक भी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं. यानी, गठबंधन के पास बहुमत के लिए जरूरी 46 से ज्यादा विधायक हैं. मलिक के समर्थन वापस लेने से सरकार को कोई तात्कालिक खतरा नहीं है. फिर भी, यह कदम सियासी संदेश जरूर देता है कि AAP अब जम्मू-कश्मीर में अपनी अलग राह तलाश रही है.

जम्मू-कश्मीर की सियासत में नया ट्विस्ट

मलिक की समर्थन वापसी भले ही सरकार को तुरंत न हिलाए, लेकिन यह जम्मू-कश्मीर की सियासत में एक नया ट्विस्ट जरूर लाया है. क्या यह AAP की नई रणनीति का हिस्सा है? क्या मलिक अब विपक्ष की भूमिका में और मुखर होंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे.

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