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JNU छात्रसंघ चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज, टूट गया वामपंथी दलों का पुराना गठबंधन, समझिए ‘कैंपस पॉलिटिक्स’

JNUSU Election

प्रतीकात्मक तस्वीर

JNUSU Election: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में छात्रसंघ चुनाव (JNUSU Polls) की सरगर्मियां अपने चरम पर हैं. इस बार का चुनाव कुछ खास है, क्योंकि वामपंथी दलों का पुराना गठबंधन टूट गया है. ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) अब अलग-अलग रास्तों पर हैं. AISA ने डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (DSF) के साथ नया गठजोड़ किया है, जबकि SFI अकेले मैदान में उतरने की तैयारी में है. दूसरी तरफ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. आइए, इस सियासी रण के बारे में विस्तार से जानते हैं.

वामपंथी गठबंधन में क्यों आई दरार?

JNU में वामपंथी संगठनों का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार गठबंधन टूटने की वजह रही है आपसी खींचतान. मौजूदा JNUSU अध्यक्ष धनंजय (AISA) ने बताया, “हमने SFI से एकजुट होकर लड़ने की बात की, लेकिन वो अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार उतारने पर अड़े रहे. हैरानी की बात, उन्हें ये भी पता की उनका उम्मीदवार कौन होगा.” AISA के पास कैंपस में मजबूत चेहरों की कमी नहीं थी, इसलिए उसने DSF के साथ गठबंधन कर लिया. SFI ने अभी तक अपने उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है, जिससे उनकी रणनीति पर सस्पेंस बरकरार है.

कौन-कौन है मैदान में?

इस बार JNU छात्रसंघ के चार मुख्य पदों, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव पद के लिए कांटे की टक्कर है. आइए, देखते हैं कौन-कौन से चेहरे मैदान में हैं:

AISA-DSF गठबंधन ने इस बार सभी चारों पदों के लिए PhD शोधार्थियों को चुना है.

अध्यक्ष: नितीश कुमार

उपाध्यक्ष: मनीषा

महासचिव: मुंतहा फातिमा

संयुक्त सचिव: नरेश कुमार

AISA का दावा है कि उनके उम्मीदवार छात्रों के हक की आवाज़ को और बुलंद करेंगे.

ABVP: गुरुवार को ABVP ने अपने पैनल का ऐलान किया, जो वामपंथी संगठनों को कड़ी चुनौती दे सकता है.

अध्यक्ष: शिखा स्वराज

उपाध्यक्ष: निट्टू गौतम

महासचिव: कुणाल राय

संयुक्त सचिव: वैभव मीना

कांग्रेस से जुड़ा NSUI भी पीछे नहीं है. उसने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है.

अध्यक्ष: प्रदीप ढाका

उपाध्यक्ष: मोहम्मद कैफ

महासचिव: अरुण प्रताप

संयुक्त सचिव: सलोनी भारद्वाज

पिछले चुनाव का क्या रहा नतीजा?

पिछले साल 2024 में वामपंथी गठबंधन ने चारों पदों पर कब्जा जमाया था. धनंजय (AISA) अध्यक्ष बने, अविजित घोष (SFI) उपाध्यक्ष, मोहम्मद साजिद (वामपंथी) संयुक्त सचिव, और प्रियांशी आर्या (BAPSA, वाम समर्थित) महासचिव चुनी गईं. लेकिन इस बार गठबंधन टूटने से ABVP और NSUI को फायदा मिल सकता है.

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चुनाव की तारीख और विवाद

JNU छात्रसंघ चुनाव 25 अप्रैल 2025 को दो चरणों में होगा. सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक और फिर दोपहर 2:30 से शाम 5:30 बजे तक. उसी रात मतगणना शुरू होगी और 28 अप्रैल तक नतीजे आने की उम्मीद है. लेकिन चुनाव से पहले ही विवाद शुरू हो गया है. SFI ने आरोप लगाया कि ABVP के कार्यकर्ताओं ने चुनाव समिति के दफ्तर में जबरन घुसकर हिंसा की और नामांकन वापसी की प्रक्रिया में रुकावट डाली.

JNU की सियासत क्यों है खास?

JNU का छात्रसंघ चुनाव हमेशा से चर्चा में रहा है. यहां फीस वृद्धि, छात्रवृत्ति, हॉस्टल सुविधाओं जैसे मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय और वैश्विक मसले भी जोर-शोर से उठते हैं. SFI और AISA जैसे वामपंथी संगठनों का दबदबा रहा है, लेकिन ABVP हर बार कड़ी टक्कर देता है. 2019 में SFI की आइशी घोष ने 2313 वोटों के साथ अध्यक्ष पद जीता था, जो 13 साल बाद उनकी बड़ी जीत थी.

वामपंथी गठबंधन के टूटने से इस बार का मुकाबला और रोमांचक हो गया है. क्या AISA-DSF का नया गठजोड़ कामयाब होगा? क्या ABVP अपनी ताकत बढ़ाएगा? या फिर NSUI कोई बड़ा उलटफेर करेगा? जवाब 28 अप्रैल को मिलेगा, जब नतीजे सामने आएंगे.

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