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पार्टी के बड़े फैसले तेजस्वी लेंगे, लेकिन लगाम पिता के हाथ में, RJD के लिए क्यों जरूरी हैं लालू यादव?

Bihar Politics

RJD के लिए जरुरी हैं लालू प्रसाद यादव

Bihar Politics: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद यादव 13वीं बार 5 जुलाई को औपचारिक तौर पर चुने जाएंगे. इससे पहले सोमवार, 23 जून को लालू यादव ने पटना में नामांकन दाखिल किया. उनका निर्विरोध निर्वाचन तय है. हालांकि तेजस्वी यादव को पार्टी का भविष्य और बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव का चेहरा माना जा रहा है.

लालू यादव ने पिछले दिनों ही तेजस्वी यादव को पार्टी के बड़े फैसले लेने का अधिकार सौंपा है. पार्टी चुनाव में किस सीट से किसको टिकट देगी, कौन किस पद पर होगा ये सब तेजस्वी तय करेंगे. मगर पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष के लिए वो बेहतर विकल्प शायद नहीं हैं. शायद इसीलिए लालू यादव ने 13वीं बार सुप्रीमो के लिए अपना नामांकन दाखिल किया है. लालू के इस फैसले को लेकर बिहार की सियासत में कई बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं. जैसे क्या लालू यादव को तेजस्वी पर भरोसा नहीं है ? क्या RJD बिना लालू के बिखर सकती है? आखिर उम्र के इस पड़ाव पर भी RJD के लिए लालू यादव क्यों जरुरी हैं…?

तेजस्वी का उभरता नेतृत्व, लालू की रणनीतिक पकड़

तेजस्वी यादव ने 2020 के विधानसभा चुनाव में RJD को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनाकर अपनी नेतृत्व क्षमता साबित की थी. युवा चेहरा होने के नाते वे सोशल मीडिया और जनसभाओं में आक्रामक रुख अपनाते हैं. फिर भी, पार्टी के भीतर और बिहार की सियासत में लालू की अनुभवी रणनीति और करिश्माई छवि का कोई विकल्प नहीं है. लालू के मार्गदर्शन में तेजस्वी बड़े फैसले ले रहे हैं, लेकिन संगठनात्मक और गठबंधन की रणनीति में लालू की अंतिम मुहर जरूरी है.

सामाजिक न्याय की सियासत में लालू की विरासत

लालू प्रसाद यादव ने 1990 के दशक में सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के सशक्तीकरण की राजनीति को बिहार में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने और यादव-मुस्लिम (MY) समीकरण को मजबूत करने में उनकी भूमिका ने RJD को एक मजबूत वोट बैंक दिया है. उनकी आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना में इस संघर्ष का जिक्र भी है. आज भी लालू की छवि सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में बिहार के गांवों-कस्बों में कायम है, जो तेजस्वी के लिए एक पूंजी है.

लालू की सियासी समझ बिहार की जटिल जातिगत समीकरणों को संतुलित करती है. तेजस्वी भले ही नए मुद्दे उठाएं, लेकिन लालू की छवि वोटरों को भावनात्मक रूप से जोड़ती है.

संगठन में एकता

RJD के कार्यकर्ताओं के लिए लालू प्रसाद यादव न सिर्फ नेता, बल्कि एक भावनात्मक प्रतीक हैं. उनके बिना संगठन में बिखराव की आशंका रहती है. तेजस्वी के नेतृत्व में भले ही युवा कार्यकर्ता सक्रिय हों, लेकिन पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं का भरोसा लालू पर ही है. लालू की ताजपोशी और उनकी लगाम से पार्टी में अनुशासन और एकता बनी रहती है, जो 2025 के चुनावों के लिए जरूरी है.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लालू का नेतृत्व कार्यकर्ताओं में जोश और संगठन में स्थिरता लाता है. तेजस्वी के फैसलों को लालू की मंजूरी से कार्यकर्ताओं में विश्वास बढ़ता है. लालू की गैरमौजूदगी में गुटबाजी की आशंका को उनकी लगाम रोकती है.

महागठबंधन की रणनीति में लालू का अनुभव

2025 के विधानसभा चुनावों में RJD महागठबंधन का नेतृत्व करेगा, जिसमें कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं. लालू का गठबंधन राजनीति में दशकों का अनुभव RJD को नीतीश कुमार की JDU और BJP के खिलाफ मजबूत बनाता है. 2015 में महागठबंधन की जीत में लालू की रणनीति अहम थी. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि तेजस्वी भले ही अभियान का चेहरा हों, लेकिन गठबंधन के नेताओं के बीच संतुलन और सीट बंटवारे जैसे फैसलों में लालू की भूमिका निर्णायक होगी.

लालू की सियासी चतुराई गठबंधन की रणनीति को प्रभावी बनाती है. नीतीश और BJP के खिलाफ विपक्षी एकता में लालू की भूमिका अहम है. तेजस्वी की आक्रामकता और लालू की रणनीति का मिश्रण RJD को ताकत देता है.

परिवार में फुट का खतरा

पिछले दिनों तेज प्रताप ने अनुष्का यादव के साथ अपने रिश्ते की सार्वजनिक घोषणा की थी. इस घटना ने परिवार में तनाव को उजागर किया. दरअसल, तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच पहले भी मतभेद सामने आए हैं, और तेजस्वी को कमान सौंपने से तेज प्रताप के समर्थकों में असंतोष बढ़ सकता है. इसके अलावा लालू की बेटी मीसा भारती और पत्नी राबड़ी देवी भी पार्टी में सक्रिय हैं. इसके साथ ही तेजप्रताप बगावत के मूड में दिख रह हैं. उनका एक्स पर किया हुआ पोस्ट जिसमें सुप्रीम कोर्ट का जिक्र था वो भी परिवार और पार्टी दोनों में कलह ला सकता है.

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अब ऐसे में तेजस्वी को नेतृत्व देने से परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका कम हो सकती है. इसीलिए लालू परिवार में एकता बनाए रखने के लिए सतर्क हैं. तेजस्वी को कमान सौंपने से पहले लालू कई लेवल पर मंथन करना चाहते हैं.

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