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Lungs Damage: महाजन इमेजिंग एंड लैब्स की रिपोर्ट में खुलासा, दिल्ली में हर 3 में से 1 युवा फेफड़े की बीमारी का शिकार

Lungs Damage

महाजन इमेजिंग एंड लैब्स की रिपोर्ट्स में बड़ा खुलासा

Lungs Damage: लंग्स यानी फेफड़ा, हमारे शरीर का बहुत इम्पोर्टेन्ट पार्ट है. ब्रेन, हार्ट, किडनी, लिवर का जितना हमारे शरीर के लिए ठीक रहना जरुरी है, वैसे ही फेफड़ों का भी ठीक रहना जरुरी है. लेकिन महाजन इमेजिंग एंड लैब्स की एक नई रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है. चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में लगभग हर तीन में से एक युवा के फेफड़ों में शुरुआती नुकसान के लक्षण देखे जा रहे हैं.

2024 में किए गए 4000 से ज्यादा सीटी स्कैन के आधार पर यह पाया गया कि 20 से 30 वर्ष की आयु के युवाओं में फेफड़ों से संबंधित गंभीर समस्याएं जैसे ब्रोन्किइक्टेसिस, वातस्फीति, फाइब्रोसिस और ब्रोन्कियल वॉल के मोटे होने जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.

वायु प्रदूषण है मुख्य कारण

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की जहरीली हवा इस नुकसान का प्रमुख कारण है. बढ़ते प्रदूषण के स्तर, विशेष रूप से PM2.5 जैसे सूक्ष्म कण, फेफड़ों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर रहे हैं. शहरी क्षेत्रों में वाहनों, उद्योगों और अन्य स्रोतों से निकलने वाला प्रदूषण युवाओं के फेफड़ों को समय से पहले नुकसान पहुंचा रहा है. यह स्थिति न केवल श्वसन संबंधी बीमारियों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों को भी जन्म दे रही है.

इसके साथ ही इंफेक्शन से लेकर धूम्रपान भी इसके कारणों में से एक हैं. वहीं, युवाओं में वेपिंग का नया ट्रेंड उनके फेफड़ों की बीमारियों में बढ़ोतरी का कारण बन रहा है.

सीटी स्कैन में दिखा फेफड़ों का स्ट्रक्चरल डैमेज

महाजन इमेजिंग एंड लैब्स के डेटा से पता चला है कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में जिन लोगों ने अपनी छाती का सीटी स्कैन कराया, उनमें से लगभग 33% युवाओं के फेफड़ों में स्ट्रक्चरल डैमेज के संकेत मिले. ये नुकसान विशेष रूप से उन लोगों में देखे गए जो लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहे. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय पर ध्यान न दिया गया, तो यह स्थिति गंभीर बीमारियों जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) का कारण बन सकती है.

युवाओं के लिए बढ़ता स्वास्थ्य जोखिम

रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि युवा आबादी, जो आमतौर पर फेफड़ों की बीमारियों को बुढ़ापे से जोड़ती है, अब वह इस खतरे का सामना कर रही है. विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि युवाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच, विशेष रूप से फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच, करानी चाहिए। इसके अलावा, प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनना, घर के अंदर वायु शोधक (एयर प्यूरीफायर) का उपयोग करना और धूम्रपान से बचना जैसे कदम उठाने की सलाह दी गई है.

विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेने की सलाह दी है. डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषण के कारण होने वाली फेफड़ों की बीमारियां केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं. सांस लेने में तकलीफ, लगातार खांसी और सीने में जकड़न जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. विशेषज्ञों ने सरकार से प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने और जागरूकता अभियान चलाने की मांग की है.

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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खराब और बहुत खराब श्रेणी में बना हुआ रहता है. हाल के आंकड़ों के मुताबिक, कई क्षेत्रों में AQI 300 से ऊपर दर्ज किया गया. जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. दीपावली और सर्दियों के मौके पर पराली जलाने और अन्य प्रदूषण स्रोतों के कारण स्थिति और बिगड़ती है. यह न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है.

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