2008 का मालेगांव बम धमाका (Malegaon Blast), एक ऐसा जख्म जिसकी टीस आज भी कई लोगों के मन में बाकी है. इस दर्दनाक हादसे में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हो गए थे. इतने सालों तक इस केस में कानूनी लड़ाई चलती रही और गुरुवार को इस कहानी का एक महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हुआ. NIA की स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया.
लेकिन ये तो सिर्फ खबर का एक पहलू है. इस फैसले के बाद, इस पूरे मामले में एक ऐसा ट्विस्ट आया है जो पूरे देश का ध्यान खींच रहा है. महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के एक पूर्व अधिकारी ने ऐसा सनसनीखेज खुलासा किया है, जिससे सब हैरान हैं.
मोहन भागवत की गिरफ्तारी का आदेश
जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा. मालेगांव धमाके की शुरुआती जांच करने वाली ATS टीम का हिस्सा रहे पूर्व इंस्पेक्टर महबूब मुजावर ने दावा किया है कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था.
मुजावर के मुताबिक, यह सब ‘भगवा आतंकवाद’ को साबित करने की साजिश थी. उन्होंने बताया कि उस समय उन्हें मोहन भागवत के अलावा राम कलसांगरा, संदीप डांगे और दिलीप पाटीदार जैसे लोगों को पकड़ने के लिए गोपनीय आदेश दिए गए थे, जिनका पालन करना उनके लिए असंभव था.
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‘मेरे करियर को बर्बाद कर दिया गया’
मुजावर ने बताया कि उन्होंने इन आदेशों को नहीं माना, क्योंकि उन्हें हकीकत पता थी. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जैसी बड़ी हस्ती को गिरफ्तार करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था. आदेश न मानने का खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा. उनके खिलाफ एक झूठा केस दर्ज कर दिया गया, जिससे उनका 40 साल का करियर बर्बाद हो गया.
मुजावर ने कोर्ट के इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि इसने ATS के उस समय के ‘फर्जीवाड़े’ को उजागर कर दिया है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “कोई भगवा आतंकवाद नहीं था. सब कुछ फर्जी था.” इस फैसले ने एक बार फिर से इस केस की पूरी कहानी को सामने ला दिया है और कई नए सवाल खड़े कर दिए हैं.
