Congress On GST Reforms 2025: देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स को लेकर एक बार फिर हलचल मची है. बुधवार को जीएसटी काउंसिल ने नई कर संरचना को मंजूरी दे दी, जिसमें अब सिर्फ दो टैक्स स्लैब होंगे, 5% और 18%. ये नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी. अच्छी खबर ये है कि रोजमर्रा की ज्यादातर चीजों पर टैक्स कम हो गया है. इतना ही नहीं, स्वास्थ्य बीमा व जीवन बीमा के प्रीमियम से भी टैक्स हटा लिया गया है. लेकिन रुकिए, कहानी में ट्विस्ट है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर निशाना साधा है और जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दे दिया है.
जीएसटी में क्या-क्या बदला?
जीएसटी काउंसिल ने फैसला किया कि अब टैक्स स्लैब को आसान किया जाएगा. पहले 0%, 5%, 12%, 18%, 28% जैसे कई स्लैब थे, साथ ही 0.25%, 1.5%, 3% और 6% की खास दरें भी. लेकिन अब सिर्फ दो दरें हैं, 5% और 18%. इसका मतलब है कि आम आदमी की जेब पर बोझ थोड़ा कम होगा. मिसाल के तौर पर, रोजमर्रा की चीजें जैसे साबुन, तेल या कपड़े अब सस्ते हो सकते हैं. और हां, अगर आप स्वास्थ्य या जीवन बीमा ले रहे हैं, तो उसका प्रीमियम अब टैक्स-फ्री होगा. सुनने में तो अच्छा लग रहा है, है ना?
खड़गे का ‘गब्बर सिंह’ वाला तंज
लेकिन कांग्रेस को ये बदलाव कुछ खास रास नहीं आया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन का ढोल पीट रही है, जैसे आम लोगों से टैक्स वसूलना कोई ओलंपिक मेडल जीतने जैसा हो. खड़गे ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है. जी हां, खड़गे के मुताबिक, मोदी सरकार ने खेती से जुड़ी 36 चीजों पर जीएसटी थोप दी. खड़गे ने तंज कसते हुए कहा, “सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक कर’ का नारा दिया था, लेकिन इसे ‘एक राष्ट्र, नौ कर’ में बदल दिया है.” उन्होंने जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दे डाला, क्योंकि दूध, दही, आटा, अनाज, बच्चों की पेंसिल-किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और यहां तक कि अस्पताल के खर्चों पर भी टैक्स लगा है.
मल्लिकार्जुन खड़गे का दावा है कि जीएसटी का 64% हिस्सा गरीब और मध्यम वर्ग की जेब से निकलता है, जबकि देश के अरबपतियों से सिर्फ 3% टैक्स आता है. ऊपर से, कॉरपोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% कर दिया गया. अब इसे आप क्या कहेंगे, ‘अमीरों की मौज या गरीबों की जंग’?
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कांग्रेस की पुरानी मांग
खड़गे ने ये भी कहा कि कांग्रेस पिछले 10 साल से जीएसटी को आसान करने की मांग कर रही थी. उनका कहना है कि सरकार ने उनकी बात तो मानी, लेकिन देर से. अब जब टैक्स स्लैब कम हो रहे हैं, तो खड़गे ने मांग की है कि राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई की जाए. क्योंकि टैक्स कम होने से राज्यों की जेब पर भी असर पड़ सकता है. वहीं, पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी दरों में कटौती को स्वागत योग्य बताया, लेकिन साथ में ये भी कहा कि सरकार को और काम करना होगा.
सीधे शब्दों में कहें तो जीएसटी अब आसान और कम हो रहा है, जिससे आम आदमी को कुछ राहत मिल सकती है. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने पहले टैक्स का जाल बिछाया और अब वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही है.
