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अब विज्ञापन घोटाले में फंसे मनीष सिसोदिया! LG ने दिए क्रिमिनल केस चलाने के आदेश, समझिए क्या है पूरा मामला

मनीष सिसोदिया

मनीष सिसोदिया

Delhi Advertisement Case: दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया मुश्किल में हैं. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उनके खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने का आदेश दिया है. आरोप है कि सिसोदिया ने सरकारी पैसे से दूसरे राज्यों में ऐसे विज्ञापन चलाए, जिसमें आम आदमी पार्टी की तारीफ की गई थी. ये विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के नियमों के खिलाफ थे, क्योंकि सरकारी पैसों से किसी पार्टी का प्रचार नहीं हो सकता.

सुप्रीम कोर्ट का नियम क्या कहता है?

मई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि सरकारी पैसे से ऐसे विज्ञापन नहीं छपने चाहिए, जो किसी नेता या पार्टी का गुणगान करें. इसके बाद अप्रैल 2016 में सरकार ने एक कमेटी (CCRGA) बनाई, जो विज्ञापनों की जांच करती थी. इस कमेटी को ये सुनिश्चित करना था कि सरकारी पैसा गलत तरीके से न खर्च हो.

आरोप कैसे सामने आए?

कांग्रेस नेता अजय माकन ने शिकायत की कि दिल्ली सरकार के कुछ विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के नियम तोड़ रहे हैं. CCRGA ने जांच की और पाया कि दिल्ली सरकार ने 97.14 करोड़ रुपये ऐसे विज्ञापनों पर खर्च किए, जो AAP का प्रचार कर रहे थे. जनवरी 2023 में AAP को 163.62 करोड़ रुपये वापस करने का नोटिस भेजा गया.

पैसों का क्या हुआ?

इन विज्ञापनों के लिए 97.14 करोड़ रुपये में से 42.26 करोड़ रुपये विज्ञापन एजेंसियों को दे दिए गए, बाकी 54.87 करोड़ रुपये बचे थे. लेकिन, AAP से पैसा वसूलने के बजाय, दिल्ली के सूचना विभाग (DIP) ने और 47 करोड़ रुपये दे दिए. सक्सेना ने कहा कि सिसोदिया ने गलत तरीके से ये पेमेंट करवाए.

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उपराज्यपाल ने क्या किया?

सक्सेना ने मुख्य सचिव को आदेश दिया कि AAP से सारा पैसा वसूला जाए. साथ ही, सभी विभागों को निर्देश दिया कि वित्तीय नियमों का सख्ती से पालन करें, ताकि सरकारी पैसे का दुरुपयोग न हो.

AAP ने कहा कि बीजेपी बदले की भावना से काम कर रही है. उनका कहना है कि ये फर्जी केस है और बीजेपी के पास कोई नया एजेंडा नहीं है. AAP ने कहा, “हम ED-CBI की धमकियों से नहीं डरते, और मजबूती से लड़ेंगे.” ये मामला दिल्ली शराब नीति घोटाले से अलग है, जिसमें सिसोदिया को अगस्त 2024 में जमानत मिली थी. इस नए केस ने दिल्ली की सियासत में हलचल मचा दी है.

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