Krishna Janmabhoomi Eidgah Dispute: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर एक बड़ी खबर आई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ मानने से फिलहाल इनकार कर दिया है. यह फैसला जस्टिस राम मनोहर मिश्रा की सिंगल बेंच ने सुनाया है, जिसने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई थी.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह पूरा विवाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उसके बगल में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है. हिंदू पक्ष का दावा है कि यह ईदगाह भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई है. उनका कहना है कि जहां आज ईदगाह है, वहां पहले एक भव्य मंदिर हुआ करता था. इसी दावे को लेकर हिंदू पक्ष के महेंद्र प्रताप सिंह ने 5 मार्च 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अर्जी डाली थी, जिसमें शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग की गई थी.
हिंदू पक्ष ने दिए कई तर्क
महेंद्र प्रताप सिंह ने ‘मासिर-ए-आलमगिरी’ जैसी ऐतिहासिक किताबों और मथुरा के पूर्व कलेक्टर एफ.एस. ग्राउस के लेखन का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि इन किताबों में साफ-साफ लिखा है कि वहां पहले मंदिर था, मस्जिद नहीं.हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह का नाम न तो किसी खसरे-खतौनी में है और न ही नगर निगम के रिकॉर्ड में. उनका कहना है कि जब कोई रिकॉर्ड ही नहीं है, तो इसे मस्जिद कैसे माना जाए?
हिंदू पक्ष ने अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का भी जिक्र किया. उन्होंने बताया कि अयोध्या में भी कोर्ट ने पहले बाबरी मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ घोषित किया था, इसलिए मथुरा में भी ऐसा ही होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भारत आए कई विदेशी यात्रियों ने अपने वृतांतों में यहां भगवान के मंदिर का जिक्र किया है, मस्जिद का नहीं.
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मस्जिद पक्ष का विरोध
दूसरी ओर, मस्जिद पक्ष ने हिंदू पक्ष की इन सभी दलीलों का जोरदार विरोध किया. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जाना चाहिए.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला 23 मई 2025 को सुरक्षित रख लिया था. अब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि मौजूदा तथ्यों और याचिका के आधार पर शाही ईदगाह को फिलहाल ‘विवादित ढांचा’ घोषित नहीं किया जा सकता है. अब देखना होगा कि हिंदू पक्ष आगे क्या कदम उठाता है.
