Devendra Fadanvis-Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में अपने संबोधन के दौरान उद्धव ठाकरे को सरकार में शामिल होने का ऑफर देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी. लेकिन, ये हलचल अभी थमती, इसके पहले ही दोनों नेताओं की मुलाकात ने इन चर्चाओं को और भी बढ़ा दिया है. विधान परिषद सदस्य राम शिंदे के कक्ष में उद्धव ठाकरे और सीएम फडणवीस की मुलाकात करीब 20 मिनट तक चली.
भले ही फडणवीस ने उद्धव को सरकार में शामिल होने का न्योता मजाकिया लहजे में दिया हो, लेकिन दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद कानाफुसी तो होनी थी. फिलहाल, इस मीटिंग को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया है. फिर भी महाराष्ट्र में नए समीकरण बनने की कवायद के तौर पर इसे जरूर देखा जाने लगा है.
दोस्ती-दुश्मनी से इतर सत्ता की चाहत
राजनीति में किसी की दुश्मनी स्थायी नहीं होती है और ये बात महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया कुछ सालों की घटनाओं से बेहतर कौन बयां कर सकता है. रातोंरात फडणवीस का अजित पवार से समर्थन लेकर सरकार बनाने की बात हो, उद्धव का एनसीपी-कांग्रेस के साथ हाथ मिलाना और सरकार बनाना हो या फिर…एकनाथ का शिवसेना विधायकों को तोड़ना और भाजपा के समर्थन से सरकार बनाना हो… इन तीनों सियासी घटनाओं ने न केवल अटकलों को खत्म किया, बल्कि ये साबित भी कर दिया कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है.
राज-उद्धव भी आए साथ
यही नहीं… दो दशक के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे तक साथ आ गए. राज ठाकरे ने इस मौके पर कहा था कि जो काम बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, वह फडणवीस ने कर दिया. इशारा साफ था कि हिंदी बनाम मराठी की जंग को राज ठाकरे आगे बढ़ाना चाहते हैं और इसमें उन्हें उद्धव का साथ मिल जाता है तो महाराष्ट्र की राजनीति में ‘भाषा विवाद’ के सहारे ही सही, राज ठाकरे अपने कद को भी बढ़ाना चाहेंगे.
फडणवीस के ऑफर के बाद शिंदे को लेकर चर्चाएं तेज
इन चर्चाओं से इतर, सवाल ये है कि विधानसभा में प्रचंड बहुमत वाली महायुति सरकार को उद्धव ठाकरे की क्या जरूरत पड़ गई? वहीं इस बात को लेकर अभी से तमाम ‘इफ एंट बट’ पर बातें होने लगी हैं कि उद्धव के महायुति में शामिल के बाद एकनाथ शिंदे का क्या होगा?
ये भी पढ़ें: ‘ब्लड मनी नहीं, बदला…’, तलाल के भाई का आया बयान, निमिषा प्रिया के लिए राहत नहीं आसान!
किस पर दबाव बनाना चाहती है बीजेपी?
एक और चर्चा ये है कि उद्धव को सरकार में शामिल होने का न्योता देने का मतलब ये है कि बीजेपी महा विकास अघाड़ी को और कमजोर करना चाहती है. दूसरा ये कि शायद बीजेपी महायुति में अपने किसी मौजूदा साथी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हो.
मौजूदा हालात में देखें तो अजित पवार के साथ फडणवीस की ट्यनिंग ठीक रही है. लेकिन एकनाथ शिंदे अक्सर नाराज बताए जाते हैं. सीएम की कुर्सी जाने के बाद से ही एकनाथ को लेकर अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं. शिंदे खेमे के विधायकों के कारण सरकार की कई बार किरकिरी हो चुकी है. ऐसे में क्या वाकई उद्धव को सरकार में शामिल होने का ऑफर देना शिंदे पर दबाव बनाने वाली पॉलिटिक्स है या फिर महज एक मजाक… ये तो आने वाले वक्त में ही मालूम होगा.
