Vistaar NEWS

‘RSS और BJP में मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं’, मोहन भागवत बोले- सरकार के फैसले संघ नहीं लेता, सिर्फ सलाह देता है

RSS chief Mohan Bhagwat

RSS प्रमुख मोहन भागवत

Mohan Bhagwat On BJP: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के बीच हो रही विवाद की चर्चा को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. मोहन भागवत ने कहा कि संघ और भाजपा में कोई विवाद नहीं है. संघ और भाजपा में मतभेद तो हो सकते हैं लेकिन मनभेद कभी नहीं है. संघ सरकार के फैसल नहीं लेता है केवल सलाह देता है. हम दोनों को एक-दूसरे पर भरोसा है. केवल भाजपा ही नहीं जिन्हें भी जरूरत होती है, उनकी मदद करता है.

‘सब कुछ संघ के तय करने वाली बात पूरी तरह गलत है’

मोहन भागवत ने आगे कहा, ‘ये बात सरासर गलत है कि सरकार में सबकुछ संघ तय करता है. हम इतने दिनों से शाखा चला रहे हैं. अगर कोई शाखा के बारे में मुझसे पूछे तो मैं उसमें एक्सपर्ट हूं. लेकिन वो राज्य चला रहे हैं. राज्य चलाने में वो एक्सपर्ट हैं. हां अगर हमसे कोई सलाह मांगता है, तो हम जरूर दे देते हैं. हम भाजपा की ही नहीं जिसे भी जरूरत होती है, उसकी मदद करते हैं. अच्छे काम के लिए जो भी हमसे सहायता मिलती है. हम जिनको सहायता करने जाते हैं, कुछ दूर भाग जाते हैं, तो हम क्या कर सकते हैं. देश के लिए जो भी अच्छा है, स्वयंसेवक उसकी मदद करते हैं.’

‘मैंने कभी नहीं कहा कि 75 साल में रिटायर हो जाना चाहिए’

वहीं राजनीति में 75 साल में रिटायरमेंट होने वाली चर्चा को लेकर भी संघ प्रमुख ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी नहीं कहा कि मैं रिटायर हो जाऊंगा या किसी और को 75 साल में रिटायर हो जाना चाहिए. हम वही करते हैं, जो संघ कहता है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार 17 सितंबर को 75 साल के पूरे हो जाएंगे. वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री से 6 दिन पहले ही यानी 11 सितंबर को ही 75 साल के पूरे हो जाएंगे.

‘विदेशियों की शिक्षा पद्धति बदलना जरूरी था’

मोहन भागवत गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज तृतीय दिवस पर संबोधित कर रहे थे. इस दौरान संघ प्रमुख से नई शिक्षा पद्धति को लाने को लेकर सवाल किया गया कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी? जिस पर भागवत ने कहा, ‘नई शिक्षा पद्धति इसलिए लाई गई क्योंकि हम काफी समय तक विदेशियों के गुलाम थे. उन्होंने हम पर राज करने के लिए शिक्षा पद्धति बनाई थी. लेकिन अब हम स्वतंत्र हो गए हैं. अब हमको केवल राज्य नहीं चलाना है, बल्कि प्रजा पालन भी करना है. इसके लिए जरूरी है कि हमको भूतकाल की जानकारी मिले. जिससे बच्चों को पता चले कि हम भी कुछ थे. हमने भी कुछ करके दिखाया है, जिससे उन्हें अपने अतीत पर गर्व हो.’

ये भी पढ़ें: इकरा हसन के जन्मदिन पर पहुंचे अखिलेश यादव, शगुन में दिए इतने रुपये…नहीं होगा यकीन!

Exit mobile version