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नार्थ ईस्ट में मॉनसून से मची तबाही, बाढ़ और लैंडस्लाइड से 30 से अधिक मौतें, जनजीवन ठप

North-East Flood and Landslide

उत्तर-पूर्व में बाढ़ और भूस्खलन

North-East Flood: भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में समय से पहले आए मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है. असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों में मूसलाधार बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड के कारण जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. मॉनसून के कारण भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में आई आपदा में अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. असम में स्थिति सबसे गंभीर है, जहां ब्रह्मपुत्र और तीस्ता जैसी नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है, जिससे कई क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं.

असम में कहर बरपा रही है कुदरत

असम में बाढ़ और लैंडस्लाइड ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है. डिब्रूगढ़, गोलाघाट और करीमगंज जैसे जिलों में हजारों लोग बेघर हो गए हैं. सड़कें और पुल बह गए हैं, जिससे यातायात और संचार व्यवस्था ठप हो गई है. भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने बचाव अभियान शुरू किए हैं, और अब तक हजारों लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.

असम में 19 जिलों के 764 गांवों में बाढ़ आ गई है. राज्य के करीब 3.6 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. रविवार को 2 और लोगों की मौत के साथ राज्य में बाढ़-लैंडस्लाइड से मरने वालों की संख्या 10 हो गई है. त्रिपुरा में 10 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. इसके साथी ही रविवार, 1 जून को मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और फायर सर्विस ने बाढ़ प्रभावित जिलों से 1,500 से ज्यादा लोगों को बचाया.

उफान पर तीस्ता नदी

वहीं, सिक्किम में भी कुदरती तबाही देखी जा रही है. यहां तीस्ता नदी के उफान पर होने के कारण गंगटोक और आसपास के क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है. अक्टूबर 2023 में आई बाढ़ की याद ताजा करते हुए, इस बार भी अचानक आई बाढ़ ने कई गांवों को तबाह कर दिया है. यहां मंगन जिले के लाचेन और लाचुंग में एक हजार से ज्यादा टूरिस्ट 30 मई से फंसे हुए हैं.

इधर, मेघालय में खासी और जयंतिया पहाड़ियों में भूस्खलन ने कई सड़कों को अवरुद्ध कर दिया है. मिजोरम और त्रिपुरा में भारी बारिश के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है. जिससे बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है. अरुणाचल प्रदेश में भी लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आई हैं. इस लैंडस्लाइड के कारण कई गांव मुख्य क्षेत्रों से कट गए हैं.

मौसम की स्थिति

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, 1893 के बाद इस साल पूर्वोत्तर में सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई है. यह स्थिति पश्चिमी विक्षोभ और मॉनसून गर्त के बीच अंतःक्रिया के कारण उत्पन्न हुई है, जिसने भारी बारिश को बढ़ावा दिया. जलवायु परिवर्तन ने भी इसकी तीव्रता को बढ़ाने में योगदान दिया है.

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राहत कार्य जारी

केंद्र और राज्य सरकारों ने आपदा प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए हैं. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और केंद्रीय जल आयोग बाढ़ की स्थिति पर नजर रख रहे हैं. राहत सामग्री और चिकित्सा सुविधाएं प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाई जा रही हैं. हालांकि, बाढ़ पूर्वानुमान और जोखिम मानचित्रण में कमी के कारण समय पर चेतावनी और प्रबंधन में चुनौतियां बनी हुई हैं.

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