Jharkhand Police Chief Interview: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा नक्सलवाद के अंत की डेडलाइन जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सुरक्षाबलों के ऑपरेशन भी तेज होते जा रहे हैं. देश के सभी नक्सल प्रभावित राज्यों में पुलिस ‘लाल आतंक’ के खात्मे के लिए अभियान चला रही है, जिनमें जवानों को बड़ी सफलताएं भी मिल रही हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय की ओर से पत्र और ऑडियो मैसेज सामने आया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि नक्सली हथियार फेंक कर ‘युद्धविराम’ के लिए तैयार हो गए हैं. इस शांति वार्ता को लेकर झारखंड DGP अनुराग गुप्ता ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि नक्सलियों के पास 3 ऑप्शन हैं- सरेंडर, गिरफ्तार या मौत.
नक्सलियों के पास सिर्फ 3 ऑप्शन
द इंडियन एक्स्प्रेस को दिए गए इंटरव्यू में झारखंड DGP अनुराग गुप्ता ने बताया कि फिलहाल झारखंड में नक्सलियों के साथ बातचीत की कोई योजना नहीं है. उनके पास सिर्फ 3 ऑप्शन हैं – आत्मसमर्पण करना, गिरफ्तार होना या मुठभेड़ में मारे जाना. जब भी वे कमजोर महसूस करते हैं, वे शांति वार्ता की बात करते हैं. ये सिर्फ हथकंडे हैं. अगर वे सचमुच शांति चाहते हैं, तो उन्हें आत्मसमर्पण करना होगा.
नक्सलियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण सफलताएं
नक्सलियों के खिलाफ अभियानों को लेकर DGP अनुराग गुप्ता ने कहा कि हाल के महीनों में पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण सफलताएं मिली हैं. पिछले आठ-नौ महीनों में ही 29 नक्सली मारे गए हैं. झुमरा समेत हजारीबाग-बोकारो सीमावर्ती क्षेत्र और यहां तक कि गिरिडीह का पारसनाथ क्षेत्र भी अब पूरी तरह से नक्सल मुक्त हैं. वहां अब कोई नक्सल गतिविधि नहीं है.
‘2-3 महीने में…’
उन्होंने आगे बताया कि पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा क्षेत्र में केवल दो या तीन हार्डकोर कैडर ही एक्टिव बचे हैं, जबकि उनके कई सहयोगी और समर्थक इसे ऑपरेट कर रहे हैं. सर्च अभियानों की मौजूदा गति को देखते हुए उन्हें उम्मीद है कि अगले एक-दो महीने में बाकी बचे कैडर या तो पकड़े जाएंगे या पूरी तरह से खत्म कर दिए जाएंगे.
इस मामले में IG (अभियान) माइकल राज ने कहा कि झारखंड में बची हुई नक्सलवाद गतिविधियां पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल तक ही सीमित हैं. पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि झारखंड में CPI के 85 से 90 कैडर सक्रिय हैं. इनमें से 69 सारंडा जंगल में केंद्रित हैं, जो इसे राज्य में नक्सलियों की उपस्थिति का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाता है. बाकी के बचे कैडर छोटे-छोटे इलाकों में फैले हुए हैं, जैसे- पलामू में चार, लातेहार में चार, छत्र में तीन, हज़ारीबाग में तीन और लातेहार अक्ष में दो.
IG (अभियान) माइकल राज ने आगे बताया कि CPI के अलावा अलग हुए समूह सीमित क्षमता के साथ सक्रिय हैं, जिनमें लगभग 7-8 सदस्यों वाली झारखंड जन मुक्ति परिषद (JJMP) और 7-8 कैडर वाली तृतीया सम्मेलन प्रस्तुति समिति (TSPC) शामिल हैं. पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI), जो कभी झारखंड के कुछ हिस्सों में प्रभावी था. वह अब काफी हद तक बेअसर हो गया है.
IG (अभियान) माइकल राज ने बताया कि झारखंड के तीन मोस्ट वांटेड नक्सली नेता, जिनमें से प्रत्येक पर एक करोड़ रुपए से अधिक का इनाम है वह सभी वर्तमान में सारंडा जंगल में सक्रिय हैं, जिससे यह सुरक्षा अभियानों का केंद्र बिंदु बन गया है.
झारखंड के 3 मोस्ट वांटेड नक्सली नेता
झारखंड के तीन मोस्ट वांटेड नक्सली नेता- पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो के सचिव मिसिर बेसरा, जो एक बार पुलिस हिरासत से भाग निकला था. दूसरा सारंडा में सक्रिय केंद्रीय समिति का सदस्य अनल दा उर्फ पति राम मांझी और मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले असीम मंडल उर्फ आकाश मंडल.
पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से अब तक मारे गए 29 नक्सलियों में से 21 CPI के थे, जबकि 5 JJMP के थे, दो TSPC के थे और एक PLFI से जुड़ा था.
IG माइकल राज ने बताया कि झारखंड ने अपने अधिकांश जिलों को नक्सल प्रभाव से मुक्त कर दिया है, जबकि नौ जिलों में नक्सली गतिविधि बहुत कम है. उन्होंने कहा- ‘सारंडा जंगल के कारण पश्चिमी सिंहभूम सबसे अधिक प्रभावित है. लातेहार को प्रभावित श्रेणी में रखा गया है, जबकि अन्य सात जिले – गिरिडीह, सरायकेला, गढ़वा, चतरा, लोहरदगा, खूंटी और बोकारो – सबसे कम प्रभावित श्रेणी में आते हैं.’
