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Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में नई पीढ़ी का दिखेगा दम! नीतीश की कुर्सी पर युवा ठोक रहे ताल

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव में युवा चेहरों का दबदबा

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे सूबे की सियासत में नए और युवा चेहरों की चर्चा जोर पकड़ रही है. मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र और उनकी लोकप्रियता में कमी की खबरों ने अगले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. विपक्ष लगातार नीतीश कुमार को अनफिट सीएम बता रही है. मगर NDA के बार-बार ये दावा कर रही है कि वो इस बार बिहार चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ेंगे.

इन सब के बीच कई युवा नेता, जो या तो खुद को नीतीश की विरासत का दावेदार मानते हैं या जनता के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, अब खुलकर या परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी दावेदारी थोक रहे हैं. इसमें लालू के लाल से लेकर चुनावी रानीतिकर प्रशांत किशोर का नाम भी शामिल है. आइए, उन प्रमुख युवा चेहरों पर नजर डालते हैं जो बिहार की सियासत में नया रंग भरने की दौड़ लगा रहे हैं…

  1. तेजस्वी यादव: महागठबंधन का सबसे मजबूत दावेदार

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इस दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं. 35 वर्षीय तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी युवाओं और रोजगार जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं.

सी वोटर सर्वे के मुताबिक, 36% लोग उन्हें अगला मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. तेजस्वी की रणनीति जातिगत समीकरणों के साथ-साथ युवा और बेरोजगार वोटरों को लुभाने पर केंद्रित है. हालांकि, आरजेडी के पारिवारिक राजनीति के तमगे और विपक्षी दलों की एकजुटता की कमी उनकी राह में चुनौती बन सकती है.

  1. प्रशांत किशोर: जन सुराज के साथ नया प्रयोग

चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (PK) अपनी नई पार्टी जन सुराज के साथ बिहार की सियासत में बवाल मचाने की तैयारी में हैं. 47 वर्षीय पीके ने परिवारवाद, पलायन, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाया है.

सी वोटर सर्वे में 17% लोगों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद किया. PK तेजस्वी के बाद दूसरा सबसे बड़ा नाम और आंकड़ा है. पीके की ताकत उनकी स्वच्छ छवि और गैर-पारंपरिक राजनीतिक दृष्टिकोण है, लेकिन उनकी नई पार्टी का संगठनात्मक ढांचा और जमीन पर पकड़ अभी परीक्षा की घड़ी में है.

  1. सम्राट चौधरी: बीजेपी का युवा चेहरा

बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल माने जा रहे हैं. 46 वर्षीय सम्राट को बीजेपी ने बिहार में बड़ा चेहरा बनाकर पेश किया है. बिहार में जब महागठबंधन से निकलकर नीतीश जनवरी 2024 में NDA के साथ सरकार बना रहे थे तब किसी को अंदाजा नहीं था कि बीजेपी चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाएगी.

सी वोटर सर्वे में उन्हें 13% लोगों का समर्थन मिला. सम्राट की हिंदुत्व और विकास की छवि बीजेपी के परंपरागत वोटरों को आकर्षित करती है. लेकिन नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA के चुनाव लड़ने की घोषणा ने उनकी राह को थोड़ा मुश्किल कर दिया है.

  1. पुष्पम प्रिया चौधरी: बदलाव की नई आवाज

द प्लूरल्स पार्टी की नेता पुष्पम प्रिया चौधरी ने भी 2025 के चुनाव में सभी 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है. 37 वर्षीय पुष्पम ने मुख्यमंत्री की कुर्सी को किसी की ‘बपौती’ नहीं बताते हुए बदलाव का नारा दिया है. उनकी पढ़ी-लिखी और प्रोफेशनल छवि शहरी और युवा वोटरों को आकर्षित कर सकती है, लेकिन उनकी पार्टी की सीमित पहुंच और सियासी अनुभव की कमी उनकी बिहार चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती है.

  1. चिराग पासवान: मोदी के हनुमान

लोक जनशक्ति पार्टी (R) के नेता चिराग पासवान ऐसे तो केंद्र में मंत्री हैं. मगर बिहार चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर इनकी भी नजर टिकी हुई है. 42 वर्षीय चिराग ने अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाते हुए एनडीए गठबंधन में मजबूत स्थिति बनाई है. कुछ जानकारों का मानना है कि चिराग की महत्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की है. अगर एनडीए में उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई तो वे अलग रास्ता भी चुन सकते हैं. चिराग लंबे समय से ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ अभियान चला रहे हैं. 2020 के चुनाव में चिराग ने नीतीश कुमार की पार्टी के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार उतार दिए थे. चिराग ने बिहार में चुनाव लड़ने के इस बार भी संकेत दिए हैं.

सी वोटर सर्वे में उन्हें 6% लोगों ने पसंद किया. चिराग की अपील खासकर दलित और युवा वोटरों तक है, लेकिन उनकी पार्टी की सीमित सीटें और गठबंधन की मजबूरियां उनकी राह में रोड़ा है.

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सियासी समीकरण और चुनौतियां

बिहार की राजनीति हमेशा से गठबंधनों और जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द रही है. एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिससे सम्राट चौधरी और चिराग पासवान जैसे युवा नेताओं की राह मुश्किल हो सकती है. वहीं, महागठबंधन में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने पर सहमति अब तक नहीं बन पाई है. जिससे प्रशांत किशोर जैसे नए खिलाड़ियों को मौका मिल सकता है.

युवा वोटर, जो बिहार की आबादी का बड़ा हिस्सा हैं, इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. पलायन, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दे युवा नेताओं के लिए अवसर और चुनौती दोनों हैं. सी वोटर सर्वे के मुताबिक, बिहार की जनता अब नीतीश कुमार को अगले मुख्यमंत्री के रूप में कम पसंद कर रही है, जिससे युवा चेहरों की संभावनाएं बढ़ गई हैं.

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