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2020 से 2025 तक, ऐसे उड़ाए 122 करोड़…न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले की पूरी कहानी!

New India Co-operative Bank Scam

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक

New India Co-operative Bank Scam: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक का नाम अब एक बड़े घोटाले से जुड़ चुका है, जहां 122 करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ है. इस मामले में मुख्य आरोपी हितेश मेहता ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के अधिकारियों के सामने यह बयान दिया है कि उसने ये पैसे अपनी पहचान के कुछ लोगों को दिए थे. यह रकम कोविड-19 महामारी के दौरान निकाली गई थी, जब बैंक की गतिविधियां और लेन-देन एक अलग ही गति से चल रहे थे.

आरोपी का रोल

हितेश मेहता को बैंक के अकाउंट हेड के तौर पर जिम्मेदारी सौपी गई थी, यानी उसे बैंक के कैश, GST और TDS की निगरानी करनी थी. इतना ही नहीं, बैंक के सभी अकाउंट की स्थिति पर उसकी नजर थी. उसके पास बैंक के लिए बहुत सारी महत्वपूर्ण जानकारी थी, और इसी वजह से उसने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया. इसके बाद 2020 से 2025 तक घोटाला चलता रहा.

कहां से गायब हुए पैसे?

सूत्रों के अनुसार, बैंक के प्रभादेवी कार्यालय की तिजोरी से 112 करोड़ रुपये गायब हो गए, जबकि गोरेगांव कार्यालय की तिजोरी से 10 करोड़ रुपये चोरी हो गए थे. इस तरह कुल 122 करोड़ रुपये का गबन हुआ था. हालांकि, इस मामले में अभी भी पुलिस को शक है कि हितेश के साथ-साथ इस घोटाले में कोई और व्यक्ति भी शामिल हो सकता है.

FIR के बाद जांच में जुटी पुलिस

दादर पुलिस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एफआईआर दर्ज की और इसके बाद यह मामला आर्थिक अपराध विंग (EOW) के पास भेजा गया. पुलिस और EOW की जांच अब यह तय करेगी कि आखिरकार यह घोटाला किस तरह से अंजाम दिया गया और इसमें कितने लोग शामिल हैं. इसके साथ ही यह भी जांचा जाएगा कि क्या बैंक ने अपनी सुरक्षा प्रोटोकॉल और नियमों का पालन किया था.

RBI का एक्शन

इस घोटाले के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. अब बैंक न तो नए लोन जारी कर सकेगा, न ही मौजूदा लोन को नवीनीकरण कर पाएगा. इसके अलावा, बैंक नई जमा राशि भी स्वीकार नहीं कर सकेगा, और निवेश करने की क्षमता भी पूरी तरह से रोक दी गई है. इसके साथ ही बैंक की संपत्तियों की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.

RBI के मुताबिक, यह निर्णय बैंक में वित्तीय अनियमितताओं और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. ये प्रतिबंध 13 फरवरी 2025 से लागू हुए हैं और अगले छह महीने तक प्रभावी रहेंगे.

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कौन है आरोपी हितेश मेहता?

हितेश मेहता न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के अकाउंट हेड थे. इस पद पर उनकी जिम्मेदारी बैंक के कैश, GST (Goods and Services Tax), TDS (Tax Deducted at Source) और अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय लेन-देन की निगरानी करना था. उनके पास बैंक के खातों और वित्तीय संचालन की पूरी जानकारी थी.

हितेश मेहता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक के वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग किया और कुल 122 करोड़ रुपये का गबन किया. उन्होंने यह राशि कोविड-19 महामारी के दौरान निकाली और अपनी पहचान के कुछ लोगों को दी. हितेश ने खुद यह कबूल किया कि वह इस गबन को 2020 से 2025 के बीच अंजाम दे रहे थे.

हितेश मेहता का पारिवारिक और पेशेवर जीवन बैंकिंग क्षेत्र में अच्छा चल रहा था, लेकिन इस घोटाले के बाद उनकी साख और पहचान पूरी तरह से संकट में आ गई है. अब उनकी वित्तीय गतिविधियों और व्यक्तिगत इतिहास की भी जांच की जा रही है, ताकि यह पता चल सके कि इस घोटाले के पीछे और कौन-कौन से लोग शामिल थे.

हितेश मेहता पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पदवी का फायदा उठाया और बैंक के संसाधनों का दुरुपयोग किया. आने वाले दिनों में इस घोटाले के बारे में और भी कई जानकारियां सामने आ सकती हैं, जिससे इस बैंक के वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में और भी तहकीकात हो सके. आगे आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि जांच और ईओडब्ल्यू के माध्यम से इस घोटाले में कितने और राज खोले जाते हैं.

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