Vistaar NEWS

जश्न, जाम और फिर सब राख…गोवा अग्निकांड से पहले भी सैकड़ों लोगों की जान ले चुकी है नाइट क्लब की आग!

Goa Nightclub Fire

प्रतीकात्मक तस्वीर

Goa Nightclub Fire: गोवा के अरपोरा स्थित ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइट क्लब में शनिवार की रात जो हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. संगीत की धुन और लाइटों के बीच अचानक उठी आग की लपटों ने 25 लोगों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया. मरने वालों में 4 पर्यटक और 14 कर्मचारी शामिल हैं. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब किसी क्लब की दीवारों के भीतर चीख-पुकार मची हो. पिछले एक दशक का इतिहास देखें तो दुनियाभर में सैकड़ों लोग इन ‘डेथ ट्रैप’ का शिकार हुए हैं.

जब इनडोर आतिशबाजी बनी काल

दुनियाभर के नाइट क्लबों में आग लगने की घटनाएं कोई नई नहीं हैं. अक्सर लापरवाही, शार्ट सर्किट और इनडोर आतिशबाजी मासूमों की जान की दुश्मन बन जाती है. गोवा के अरपोरा में हुई ताज़ा घटना ने एक बार फिर सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्लबों में अक्सर जश्न के दौरान पटाखों और आतिशबाजी का इस्तेमाल किया जाता है, जो सबसे खतरनाक साबित होता है.

मैसेडोनिया (मार्च 2025): अभी कुछ ही महीने पहले उत्तरी मैसेडोनिया के एक क्लब में छत से टकराई एक चिंगारी ने 62 लोगों की जान ले ली थी.

रोमानिया (अक्टूबर 2015): बुखारेस्ट के ‘कोलेक्टिव नाइट क्लब’ में एक रॉक बैंड के प्रदर्शन के दौरान हुई आतिशबाजी ने वहां लगी फोम (Foam) में आग लगा दी थी. इस हादसे में 64 लोगों की मौत हुई थी.

यह भी पढ़ें: VISA को लेकर अमेरिकी सरकार सख्त, बदले कई नियम, अब इनको नहीं मिलेगा प्रवेश, भारतीयों पर क्या होगा असर?

बिजली की गड़बड़ी और लापरवाही का खामियाजा

जरूरी नहीं कि हर बार पटाखे ही आग लगाएं, कई बार जर्जर बिजली के तार और शॉर्ट सर्किट भी मौत का कारण बनते हैं. अप्रैल 2024 में इस्तांबुल के ‘मास्करेड’ नाइट क्लब में जब रेनोवेशन चल रहा था, तब आग लगने से 29 लोग मारे गए थे. वहीं, अगस्त 2022 में थाईलैंड के ‘माउंटेन बी’ क्लब में शॉर्ट सर्किट की वजह से 23 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. इतना ही नहीं, दिसंबर 2016 में ओकलैंड के एक गोदाम में चल रही म्यूजिक पार्टी ‘घोस्ट शिप’ के दौरान लगी आग में 36 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

गोवा अग्निकांड

गोवा की इस घटना पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त किया है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इन हादसों से सबक लेंगे? नाइट क्लबों में अक्सर ज्वलनशील पदार्थों (Flammable materials) का इस्तेमाल इंटीरियर के लिए किया जाता है, जो आग लगने पर ज़हरीला धुआं पैदा करते हैं. गोवा पुलिस और दमकल विभाग अब इसकी जांच कर रहे हैं कि क्या क्लब के पास जरूरी फायर एनओसी (NOC) थी या नहीं.

इन हादसों की फेहरिस्त बहुत लंबी है, चाहे वह इंडोनेशिया के सोरोंग में हुई गुटों की झड़प के बाद लगी आग हो या कैमरून के याओंडे में शैंपेन परोसते समय हुई आतिशबाजी . हर बार मासूम अपनी जान गंवाते हैं और पीछे रह जाते हैं सिर्फ अधूरे मानक और जांच के आश्वासन.

Exit mobile version