Bihar Election 2025: बिहार चुनाव को लेकर न केवल बिहार में सियासत गर्म है, बल्कि इस विधानसभा चुनाव पर हर पार्टी की नजर है. बिहार चुनाव में जहां इंडी गठबंधन NDA को चोट पहुंचाने की तयारी कर रही है, वहीं महागठबंधन को उसी के गढ़ में चोट पहुंचाने की तैयारी असदुद्दीन ओवैसी ने कर ली है. बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होना है. इसे लेकर अब 6 महीने से कम का समय बचा हुआ है. ऐसे में तमाम राजनीतिक दल और उनके नेता अपने चुनावी प्लान बनाने की तैयारी कर रही है.
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी बिहार के दौरे पर हैं. ओवैसी का ये दौरा बिहार के सीमांचल से शुरू हो रहा है और मिथिलांचल होते हुए गोपालगंज में मीटिंग करेंगे. शुक्रवार, 2 मई को ओवैसी 2 दिवसीय बिहार दौरे पर किशनगंज पहुंचे. शनिवार को ओवैसी बहादुरगंज में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद 4 मई को ओवैसी मोतिहारी के ढाका में दूसरी मीटिंग करेंगे और उसी दिन उनका गोपालगंज में भी कार्यक्रम हैं.
बिहार चुनाव में एक्टिव हुए ओवैसी एक्टिव
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने पहली बार अपनी किस्मत आजमाई थी. उस वक़्त सीमांचल के इलाके में ओवैसी की पार्टी का रिजल्ट सबको चौकाने वाला था.
बिहार में RJD हमेशा से MY समीकरण पर अपना एकाधिकार रखती आई है. MY यानी मुस्लिम-यादव समीकरण. लेकिन राजद की इसी समीकरण को ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में झटका दिया था. सीमांचल का इलाका RJD का गढ़ माना जाता है. जिसमें AIMIM ने बड़ी सेंधमारी की थी. यही वजह रही कि सीमांचल में ओवैसी की पार्टी को 5 सीटें हासिल हुईं, कई ऐसी सीटें भी रहीं, जहां ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों की वजह से महागठबंधन के उम्मीदवारों की हार हुई.
ओवैसी ने तैयार किया प्लान, महागठबंधन को लगेगा झटका
पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने कुल 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 5 पर उसे जीत हासिल हुई थी. ओवैसी एक बार फिर से बिहार में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में हैं. बिहार में मुस्लिम आबादी तकरीबन 18 फीसदी है. राज्य के सीमांचल का इलाका जिसमें किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार जैसे जिले शामिल हैं, इन इलाकों को मुस्लिम बहुल माना जाता है.
किशनगंज में तकरीबन 67 फीसदी मुस्लिम आबादी है. ओवैसी ने बड़ी प्लानिंग के साथ इसी इलाके में बीते विधानसभा चुनाव के अंदर उम्मीदवार उतारे थे और तेजस्वी यादव को बड़ा झटका दिया था. यहीं कारण है कि इस बार तेजस्वी यादव इस बार बिहार में पहले से ही ओवैसी के हर कदम पर नजर रखे हुए हैं.
पैर पसार रहे ओवैसी
बिहार चुनाव को लेकर प्रदेश में चुनावी दौरे शुरू हैं. NDA, INDI सहित अब ओवैसी भी चुनावी दौरे करने लगे हैं. इसके साथ ही ओवैसी इस बार बिहार में अपना पैर पसारने की तैयारी में हैं. इस बार ओवैसी मिथिलांचल और सारण तक विस्तार करने की तयारी में हैं. ओवैसी 4 मई को मोतिहारी के ढाका और गोपालगंज में मीटिंग करेंगे. इसका मतलब ये है कि ओवैसी आगामी चुनाव में नए इलाकों के अंदर अपनी पैठ बनाने जा रहे हैं.
वह अपनी पार्टी के लिए बिहार में न केवल विस्तार देख रहे हैं, बल्कि उन इलाकों में एंट्री कर सबको चौंकना भी चाहते हैं जहां अब तक किसी ने ओवैसी को गंभीरता से नहीं लिया है. बीते विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी के 5 विधायक जीते थे, तेजस्वी यादव को इस जीत से भले ही झटका लगा था, लेकिन बाद में तेजस्वी ने हिसाब चुकता करते हुए ओवैसी की पार्टी के 4 विधायकों को तोड़कर आरजेडी में शामिल कर लिया था.
इस सीटों पर ओवैसी की नजर
पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ओवैसी की पार्टी से जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचने वाले विधायकों के लिए आरजेडी के टिकट पर आगामी चुनाव में जीत हासिल करना आसान नहीं होगा. विधायकों की टूट ओवैसी के लिए बिहार में पुरानी बात हो चुकी है. ओवैसी अब सीमांचल के साथ-साथ अब उससे सटे मिथिलांचल के इलाके में भी अपना कदम रखने की तैयारी में हैं. बता दें कि मिथिलांचल में कुछ ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटर्स बेहद हैं. ओवैसी की नजर इन्हीं सीटों पर है. सारण के इलाके में भी ओवैसी की पार्टी एंट्री के लिए तैयार है.
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RJD की चुनौती
आगामी बिहार चुनाव में मुस्लिम वोट पाने में ओवैसी कामयाब रहे तो इसका सीधा नुकसान आरजेडी और उसके गठबंधन को होगा. बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी इस बात को भली भांति जानते हैं और यही वजह है कि चुनावी माहौल में लगातार आरजेडी और उसके घटक दल यह बात दोहरा रहे हैं कि ओवैसी बीजेपी की बी टीम की तरह काम करते हैं.
आरजेडी का दावा है कि बिहार में ओवैसी अगर अपने उम्मीदवार उतार रहे हैं तो इसका सीधा मकसद मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव पैदा करना है. अगर मुसलमानों का वोट बंटेगा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी और एनडीए गठबंधन को होगा. महागठबंधन ने ओवैसी की पार्टी को बिहार में वोट कटवा बता डाला है. वहीं ओवैसी लगातार बीजेपी पर हमलावर रहते हैं.
