BJP President Election: भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, लेकिन इन दिनों इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो चुका है, और नए अध्यक्ष का चयन अब तक नहीं हो पाया है. हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बार फिर इस चुनाव को टाल दिया गया है. आखिर क्यों बार-बार यह प्रक्रिया अटक रही है? आइए, सबकुछ जानते हैं.
बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है?
बीजेपी के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक लंबी और व्यवस्थित प्रक्रिया है. सबसे पहले पार्टी का सदस्यता अभियान चलता है, जिसमें नए सदस्य जोड़े जाते हैं. इसके बाद बूथ, मंडल, जिला और फिर राज्य स्तर पर संगठनात्मक चुनाव होते हैं. कम से कम 50% राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होने के बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है. इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय परिषद के सदस्य वोट डालकर नए अध्यक्ष को चुनते हैं. लेकिन अगर एक ही उम्मीदवार का नाम सामने आता है, तो उसे बिना वोटिंग के अध्यक्ष घोषित कर दिया जाता है.
क्यों हो रही है देरी?
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी के कई कारण हैं. इनमें से कुछ संगठनात्मक हैं, कुछ राजनीतिक, और कुछ समय और परिस्थितियों से जुड़े हैं. आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं.
राज्यों में संगठनात्मक चुनावों की धीमी गति
बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी हो सकता है, जब आधे से ज्यादा राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव पूरा हो जाए. लेकिन उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे बड़े राज्यों में अभी तक प्रदेश अध्यक्षों का चयन नहीं हो पाया है. इन राज्यों में संगठनात्मक प्रक्रिया धीमी होने की वजह से राष्ट्रीय स्तर पर भी देरी हो रही है. अभी तक केवल 12 राज्यों में ही यह प्रक्रिया पूरी हो पाई है.
RSS की भूमिका
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक है, और अध्यक्ष के चयन में उसकी सलाह अहम होती है. मार्च 2025 में बेंगलुरु में हुई आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के कारण भी चुनाव प्रक्रिया में देरी हुई. इस बैठक में बीजेपी के शीर्ष नेता और 1500 से ज्यादा आरएसएस प्रतिनिधि शामिल थे, जिसके चलते फैसले टल गए.
लोकसभा और विधानसभा चुनावों का दबाव
2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद महाराष्ट्र, झारखंड जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों ने बीजेपी को व्यस्त रखा. इन चुनावों की वजह से संगठनात्मक प्रक्रिया को प्राथमिकता नहीं दी जा सकी.
नए अध्यक्ष के लिए बीजेपी और आरएसएस के बीच अभी तक पूरी सहमति नहीं बन पाई है. कई नामों की चर्चा है, जैसे बीएल संतोष, विनोद तावड़े, और सुनील बंसल, लेकिन कोई एक नाम सर्वसम्मति से सामने नहीं आया.
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने बीजेपी नेतृत्व का ध्यान राष्ट्रीय सुरक्षा की ओर खींच लिया है. इस संवेदनशील समय में पार्टी ने संगठनात्मक चुनावों को टालने का फैसला लिया.
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कौन हो सकता है नया अध्यक्ष?
हालांकि अभी कोई आधिकारिक नाम सामने नहीं आया है, लेकिन कुछ नेताओं के नाम चर्चा में हैं.
बीएल संतोष: संगठन महासचिव और आरएसएस से नजदीकी के चलते मजबूत दावेदार.
विनोद तावड़े: महाराष्ट्र से आने वाले इस नेता ने बिहार में अच्छा काम किया है.
सुनील बंसल: उत्तर प्रदेश में संगठन को मजबूत करने का श्रेय इन्हें जाता है.
दक्षिण भारतीय नेता: दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करने के लिए किसी दक्षिण भारतीय नेता को मौका मिल सकता है.
सूत्रों के मुताबिक, अगले महीने कभी भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. बीजेपी चाहती है कि नया अध्यक्ष न केवल संगठन को मजबूत करे, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए भी पार्टी को नई दिशा दे. इसके साथ ही, पार्टी संगठन में बड़े बदलाव की योजना बना रही है, जिसमें 50% राष्ट्रीय महासचिवों को बदला जा सकता है और युवा चेहरों को मौका मिल सकता है.
बीजेपी के इतिहास में यह पहली बार है कि अध्यक्ष के कार्यकाल खत्म होने के बाद इतने लंबे समय तक नया अध्यक्ष नहीं चुना गया. फिर भी, पार्टी का चुनावी प्रदर्शन प्रभावित नहीं हुआ है, जो इसके मजबूत संगठन का सबूत है. लेकिन देरी ने सवाल जरूर खड़े किए हैं कि क्या पार्टी और आरएसएस के बीच कोई बड़ा फैसला अटका हुआ है?
