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पहलगाम में 28 लोगों की मौत के पीछे हाफिज सईद का ‘राइट हैंड’, जानिए कौन है TRF का सरगना सज्जाद गुल

pahalgam terror attack

पहलगाम आतंकी हमला (इनसेट में मास्टरमाइंड सज्जाद गुल)

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 28 बेगुनाह मारे गए हैं. इस हमले में जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) ने ली है. TRF को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन बताया जा रहा है. पहलगाम में 28 लोगों की मौत का जिम्मेदार और इस पूरे हमले का मास्टरमाइंड सज्जाद गुल (Sajjad Gul) है, जिस पर एनआईए ने 10 लाख रुपये का इनाम रखा है.

टीआरएफ का सरगना शेख सज्जाद गुल भारत के सबसे बड़े दुश्मन हाफिज सईद का राइड हैंड है. इसी के इशारे पर आतंकियों ने सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देते हुए पहलगाम में आतंकी वारदात को अंजाम दिया, जिसमें 28 बेगुनाह लोग मारे गए. मरने वालों में कई ऐसे हैं जिनकी शादी हाल ही के दिनों में हुई थी और वे हनीमून पर पहलगाम गए थे.

खुद सामने नहीं आता सज्जाद गुल

सज्जाद गुल खुद पाकिस्तान में बैठकर ऑपरेट करता है और कभी सामने नहीं आता है. इसको पाक सेना और आईएसआई का सपोर्ट हासिल है. सूत्रों के मुताबिक, टीआरएफ का फाल्कन स्क्वाड इस आतंकी वारदात के पीछे है और इस स्क्वाड में शामिल आतंकियों ने पर्यटकों को मौत के घाट उतारा और फिर पास के घने जंगलों में भाग गए. फिलहाल, सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेरा हुआ है और आतंकियों की तलाश जारी है.

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आईएसआई के इशारे पर वारदात को अंजाम देता है TRF

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद इस आतंकी गुट ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे. इस ग्रुप ने हाल के वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अपनी सक्रियता बढ़ाई है. इसे पाकिस्तान से लगातार फंडिंग मिलती रही है और आईएसआई के इशारे पर कश्मीर में आतंकी वारदात को यह अंजाम देता रहा है.

वारदात को अंजाम देकर छिप जाते हैं आतंकी

टीआरएफ का कमांडर पीओके में बैठकर आतंकियों को लगातार निर्देश रहता है और आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद पहाड़ियों और घने जंगलों में छिप जाते हैं. कुछ इसी तरह के पैटर्न पर ये आतंकी गुट काम करता है. पहलगाम में भी यही पैटर्न देखने को मिला, जब आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया और जंगलों की तरफ भाग गए.

इस आतंकी संगठन का नाम अंग्रेजी में रखे जाने के पीछे भी सोची-समझी चाल है. दरअसल, जैश लेकर लश्कर तक तमाम आतंकी संगठनों के सरगना पाकिस्तान में बैठे हैं और वहीं से ऑपरेट करते रहे हैं. ऐसे में इस संगठन का नाम अंग्रेजी में रखे जाने का मकसद यही है कि इसकी पहचान को पाकिस्तान से न जोड़ा जाए. लेकिन, यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है जो पहले केवल लश्कर के हमलों को कवर देने का काम करता था.

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