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बात 1965 की हो या 1971 की…पाकिस्तान की ’72 घंटे’ वाली फितरत, शुरू में दिखता है जोश, फिर पकड़ने लगता है पैर!

India Pakistan War

जब लाहौर पहुंच गई थी भारतीय सेना

India Pakistan War: पाकिस्तान की एक पुरानी आदत है, जो हर जंग में नजर आती है. चाहे 1947-48 की लड़ाई हो, 1965 की जंग, 1971 का युद्ध या फिर करगिल का मुकाबला. पाकिस्तान पहले 72 घंटे में जोश में आकर बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन जल्दी ही हवा निकल जाती है और वो दुनिया के सामने गिड़गिड़ाने लगता है. ये कहानी है पाकिस्तान की उसी फितरत की.

पाकिस्तान का ‘दूध का उफान’ वाला स्टाइल

अब तक के युद्ध में देखा गया है कि पाकिस्तान की योजनाएं शुरू में बहुत जोशीली और साहसी होती हैं, लेकिन इनके पास कोई ठोस बैकअप नहीं होता. जैसे दूध चढ़ाओ, जो शुरू में उफान मारता है, लेकिन जल्दी ठंडा हो जाता है. पाकिस्तान भी ऐसा ही करता है, पहले बड़ी-बड़ी बातें, फिर माफी मांगने की नौबत.

जब लाहौर तक पहुंचा भारत

1965 में पाकिस्तान ने रण कच्छ और अखनूर पर हमला किया. उन्हें लगा, भारत चुप बैठेगा. लेकिन भारत ने ऐसा जवाब दिया कि भारतीय सेना लाहौर के दरवाजे तक पहुंच गई. बस, फिर क्या? पाकिस्तान को लगा, “ये तो गड़बड़ हो गई.” और वो हार मानने की राह पर चल पड़ा.

करगिल में भी वही कहानी

1999 के करगिल युद्ध में भी यही हुआ. पाकिस्तान ने सोचा कि वो नेशनल हाईवे-1 को काट देगा, सियाचिन को अलग कर देगा और भारतीय सेना भूख से हार मान लेगी. लेकिन जब भारतीय वायुसेना और बोफोर्स तोपें गरजीं, तो पाकिस्तान की हेकड़ी निकल गई. आखिर में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पास मदद मांगने जाना पड़ा.

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बड़ी बातें, छोटी हिम्मत

हर बार पाकिस्तान का जंग वाला बुखार दूध के उफान जैसा होता है. पड़ोसी मुल्क पहले कहता है कि हम बम मार देंगे, न्यूक्लियर मिसाइल छोड़ देंगे, तीसरा विश्व युद्ध कर देंगे. लेकिन 72 घंटे बाद इनका टेंपरेचर नीचे आ जाता है.

हाल ही में पाकिस्तान के मंत्री ख्वाजा आसिफ ने धमकी दी थी कि अगर भारत ने पानी रोका, तो वो मिसाइलें चलाएंगे और टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करेंगे. लेकिन अब भारत ने बगलिहार डैम से पानी रोक दिया है, और जल्द ही किशनगंगा का पानी भी रोका जाएगा.

पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि वो बिना सोचे-समझे बड़े कदम उठाता है, लेकिन जब जवाब मिलता है, तो हालत खराब हो जाती है. 72 घंटे के जोश के बाद वो दुनिया भर के नेताओं के पैर पकड़ने लगता है. अगर जंग छिड़ी तो इस बार भी यही होगा.

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